स्वप्न को समर्पित

लेखक उसके हर रूप पर मोहित था, इसलिये प्रतिदिन उसका पीछा कर उस पर एक पुस्तक लिख रहा था| आज वो पुस्तक पूरी करने जा रहा था, उसने पहला पन्ना खोला, जिस पर लिखा था, “आज मैनें उसे कछुए के रूप में देखा, वो अपने खोल में घुस कर सो रहा था”

 

फिर उसने अगला पन्ना खोला, उस पर लिखा था, “आज वो सियार के रूप में था, एक के पीछे एक सभी आँखें बंद कर चिल्ला रहे थे”

 

और तीसरे पन्ने पर लिखा था, “आज वो ईश्वर था और उसे नींद में लग रहा था कि उसने कल्कि अवतार कर सृजन कर दिया”

 

अगले पन्ने पर लिखा था, “आज वो एक भेड़ था, उसे रास्ते का ज्ञान नहीं था, उसने आँखें बंद कर रखीं थीं और उसे हांका जा रहा था”

 

उसके बाद के पन्ने पर लिखा था, “आज वो मीठे पेय की बोतल था, और उसके रक्त को पीने वाला वही था, जिसे वो स्वयं का सृजित अवतार समझता था, उसे भविष्य के स्वप्न में डुबो रखा था”

 

लेखक से आगे के पन्ने नहीं पढ़े गये, उसके प्रेम ने उसे और पन्ने पलटने से रोक लिया| उसने पहले पन्ने पर सबसे नीचे लिखा – ‘अकर्मण्य’, दूसरे पर लिखा – ‘राजनीतिक नारेबाजी’, तीसरे पर – ‘चुनावी जीत’, चौथे पर – ‘शतरंज की मोहरें’ और पांचवे पन्ने पर लिखा – ‘महंगाई’|

 

फिर उसने किताब बंद की और उसका शीर्षक लिखा – ‘मनुष्य’

 

 

- चंद्रेश कुमार छतलानी

आजीविका  : सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान) ,जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान)

पता -  प्रभात नगर, सेक्टर – 5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313002

 लेखन - लघुकथा, पद्य, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ, लेख

प्रकाशन - मधुमति (राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका), शब्द व्यंजना, रचनाकार, अमेजिंग यात्रा, निर्झर टाइम्स, राष्ट्रदूत, जागरूक टाइम्स, Royal Harbinger, दैनिक नवज्योति, एबेकार पत्रिका, नव-अनवरत, वी विटनेस, हिंदीकुञ्ज, laghukatha.com, अटूट बंधन, किस्सा-कृति, जय-विजय, वेब दुनिया, कथाक्रम पत्रिका, लघुकथा अनवरत (लघुकथा संग्रह), आदि में रचनाएँ प्रकाशित

 

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