सुबह-ए-बनारस

 

इससे पहले

सतह पर अपनी

लाल-लाल आंखें

जमाए सूरज

घाटों पर

डूबने-उतरने का

मुंह अंधेरे ही

एक अध्याय

हो गया समाप्त।

 

भिन्सारे की आहट पा

बजने लगे घंटे-घडि़याल

मंदिरों में शंख

 

तंग गलियों में पसरने लगी

धूप धीरे-धीरे

खुलने लगीं दुकानें

और खिलने लगीं

छिन्न छिन्न जलेबियां ताजी

छन्न छन्न कचौरियां गरमागरम।

 

साथ ही बिखरने लगी

चारो ओर पान की गिलौरियों

में घुली हुर्इ लाल मुस्की

 

भोला सुरती जाफरानी

चौड़ी पत्ती पलंगतोड़

और कीमाम की

खुशबू जगह-जगह

 

कुल्हड़ वाली चाय की

गहरी चुस्की से

शुरू हुर्इ अडडेबाजी

समाज सरकार देश-

विदेश और बढ़ते,

भ्रष्टाचार की चिंता

 

साहितियक चर्चा-परिचर्चा

ऊंच-नीच भेद-अभेद

देशी-विदेशी साधु-असाधु

बैठे टाट ढकी सीढि़यों पर

सब रंगे एक रंग अनोखे

सने सुबह-ए-बनारस।

 

-मनोज कृष्ण

 

मनोज कृष्णा जी मीडिया और मनोरंजन के विभिन्न क्षेत्र में दस साल से अधिक का अनुभव रखते हैं | वे टीवी शो, सीरियल और फिल्म के लिए मुंबई के स्वत्रंत स्क्रिप्ट लेखन में सक्रिय हैं |

वर्तमान में वे सॉफ्ट ड्रीम फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड में लेखक हैं |

 मुंबई में: मनोज ने २०१० से २०१२ के बीच में काफी सारे कार्यक्रम में सफल योगदान दिए हैं | उनमें से कुछ चुनिन्दा नाम हैं ; क्राइम पेट्रोल, अखियों के झरोखों से, रुक जाना नहीं, हम हैं बजरंगी, लापता गंज, डिटेक्टिव देव, आदि |

2007 के बाद से अप्रैल २०१०: प्रज्ञा टीवी (फिल्म सिटी नोएडा) के साथ सह निर्माता और वरिष्ठ पटकथा लेखक | प्रोमो लेखन में विशेषज्ञता, जिंगल्स / संवाद स्क्रीन प्ले, वृत्तचित्र, विसुअलिज़िंग, विचारों और गल्प स्क्रिप्टिंग का विकास.
वृत्तचित्र कार्यक्रमों आधारित: भारत के तीर्थ, उत्सव, गुरुकुल, यात्राक |

 २००१ से २००७ : इस दौरान मनोज की प्रिंट मीडिया के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका रही; लोकायत, सीनियर इंडिया, महामेधा, न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया, माया, यूनाइटेड भारत, जनमुख, आदि |

 व्यावसायिक योग्यता: M.J.M.C. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से

शैक्षणिक योग्यता: एम.ए. (हिन्दी), C.S.J.M. विश्वविद्यालय. कानपुर

 

Leave a Reply