वाह रे निर्दयी, निर्मोही
वर्षों तक छलता रहा मुझे
तेरा हाथ छाती पर रहता था तो
ढाल समझ कर
मैं तो मौत को भी ललकारती थी
वह विश्वास तोड़कर
अचानक चल दिए तुम तो
जिसने प्रीत की ही नहीं
वह क्या जाने पीड़ा क्या होती है
कभी आकर इन नयनों के निर्झर को देखते
तो जान पाते प्रेम क्या होता है
गलती हुई मुझसे तो कह कर तो देखते
पल भर में तेरे अनुरूप हो कर दिखाती
जी भर गया था मुझसे तो कह देते
मैं ही चली जाती तुमको महल न छोड़ने देती
उलझे थे किसी रूपसी के मोह जाल में
तो मैं उसे अपनी सौत नहीं सखी बना लेती
पर एक बार सिर्फ एक बार बता कर तो जाते
पर तुम ऐसा क्यों करते ?
प्रेम तो मैंने किया था
तुमने तो स्वांग किया था, छला था
मेरी भावनाओं को, संवेदनाओं को
प्रेम न सही, कर्तव्य तो याद करते
सात जन्मों के साथ का वचन दिया था
उसे इसी जन्म में चूर चूर कर दिया
वर्षों तक ऐसे कितने ही विचार आये मेरे मन मैं
पर सुनाती किसे ?
वो केवल इतना ही बोले हां मैं अपराधी हूँ तुम्हारा
अधिकार हैं तुम्हे सब कुछ कहने का देवी
नयनों के निर्झर का वेग दुगना हो गया
मालूम होता मुझे वन में भटकने जा रहे हो
इस तरह से सूख कर काँटा हो जाओगे
तो तुम क्या सोचते अकेला जाने देती
मैं यहाँ महलों में रह पाती ?
जीवन देकर भी तुम्हे कष्ट ना होने देती
वे बोले जानता हूँ देवी
प्रेम मुझे भी तुमसे तब भी था आज भी है
मेरे प्रेम में अब आसक्ति नहीं रही
पर तुम्हारे प्रेम के साथ है, तभी तो
आसक्ति मुझे दण्ड देना चाहती है,
और प्रेम मुझे कष्ट न देना चाहता है
यह जो द्वन्द है न, तुम्हारे मन में
यह द्वन्द ही प्रत्येक मनुष्य की पीड़ा है
इसी का उत्तर ढूँढने गया था
वहां तुम साथ होती तो एकाकी, मौन होकर
स्वयं को कैसे जान पाता
स्वयं को जाने बिना
ऐसे अनेकों प्रश्नों के उत्तर किससे पूछता ?
समझ गई वो
उनका आसक्ति विहीन प्रेम विराट के लिए है
जिसमें मैं भी हूँ और पूरी सृष्टि भी
मेरा प्रेम आसक्त है
तभी तो मोह है, द्वेष भी है उनसे
कर जोड़ बोली क्षमा करें, देव
मैंने इतने उलाहने दिए आपको
मुक्त करें मुझे भी ज्ञान देकर उस विराट प्रेम का
गौतम और यशोधरा का हुआ मिलन
पहली बार भी, आज फिर
सुख तब भी मिला था, आज भी
अंतर यह था कि पहला क्षणिक था
आज अनन्त, अनादि…सदैव के लिए |
- डॉ.फ़तेह सिंह भाटी “फ़तह”
जन्मतिथि: ०१ जून
प्रकाशन: विगत कई वर्षों से हिन्दी में कहानी, कविता और समसामयिक विषयों पर आलेख लेखन में संलग्न हूँ | राजस्थान पत्रिका व ऐसे ही देश के अन्य प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में कहानी व लेख प्रकाशित | आकाशवाणी के ‘कहानी की तलाश में कहानी’ कार्यक्रम में कहानियों का प्रसारण |
शिक्षा: एम.बी.बी.एस., एम.डी.(एनेस्थेसिओलोजी एंड क्रिटिकल केयर )
सम्प्रति: एसोसिएट प्रोफेसर, एनेस्थेसिओलोजी एंड क्रिटिकल केयर विभाग, डॉ.एस.एन.मेडिकल कॉलेज, जोधपुर |
सम्पर्क: जोधपुर, राजस्थान (भारत)