जनकपुर (नेपाल)ः ’नेपाल -भारत मैत्री विरांगना फाउंडेशन’, काठमांडू , भारतीय राज दूतावास, काठमांडू के संयुक्त तत्वाधान में जनकपुर नेपाल में आयोजित ’हम सब साथ-साथ 6ठा सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन’ एवं सम्मान समारोह 2018 नेपाल के जनकपुर शहर में 30-31 मार्च 2018 को सम्पन्न हुआ। इस अंतर राष्ट्रीय आयोजन में देश विदेश की साहित्य, कला के क्षेत्र महनीय योगदान देने वाली एक सौ एक प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आकोला के साहित्यकार राजकुमार जैन राजन को हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय सृजन,संपादन, प्रकाशन ,सम्मान समारोह आयोजन, बाल कल्याण एवम बाल साहित्य उन्नयन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर नेपालप्रदेश 2 के कानून मंत्री ज्ञानेंद्र कुमार यादव, भारतीय राजदूतावास काठमांडू के डीसीएच डॉ. अजय कुमार, भारतीय वाणिज्य दूतावास के काउंसलर वी सी प्रधान, अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय के अध्यक्ष महेश शर्मा सहित कई नेपाली अधिकारी एवं भारत- नेपाल के वरिष्ठ साहित्यकार/संस्कृतिकर्मी उपस्तिथ रहे। राजकुमार जैन राजन को इस महत्वपूर्ण आयोजन के दो सत्रों में मंचस्थ अतिथि के रूप में भी सम्मान प्रदान किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि, ’यदि बालकों को साइबर दुनियां के खतरों से बचाना है तो उनमें पठन -पाठन की रुचि विकसित कर उन्हें उत्कृष्ठ बाल साहित्य उपलब्ध करवाना होगा।’ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कविता पाठ कर भी आपने खूब प्रशंशा बटोरी।’ कार्यक्रम संयोजक किशोर श्रीवास्तव ,नई दिल्ली, भारत एवं श्रीमती प्रभा सिंह उज्जैन, काठमांडू, नेपाल ने प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
उल्लेखनीय है कि राजकुमार जैन राजन काठमांडू,नेपाल से प्रकाशित हिंदी पत्रिका के संपादन से जुड़े रहे उसमे भी 6 पेज बाल साहित्य के संपदित किये। भारत- नेपाल के साहित्यकारों के बीच एक सेतु की भूमिका का निर्वहन किया। राजन जी की बालसाहित्य की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है एवम कई भाषाओं में अनुदित हो चुकी है। ’खोजना होगा अमृत कलश’ इनका एक चर्चित कविता संग्रह पांच भाषाओं में अनुदित हो चुका है। ’जीना इसी का नाम है’ आपका आलेख संग्रह प्रकाशित हो चुका है। आपको देश विदेश की कई प्रतिष्टित संस्थाओं द्वारा सौ से अधिक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। नेपाल के इस अंतर राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभागिता एवं सम्मान प्राप्त होने पर साहित्यकारों, मित्रों ने हार्दिक बधाई देते हुए प्रसंशा व्यक्त की है।
- चित्रा प्रकाशन, चित्तौडगढ़ (राजस्थान)