जंगल में जब सर्दी आई
बन्दर मामा लाए रजाई
ओढ़ रजाई बैठे रहते
उछल कूद कुछ भी न करते
कप कप कप कप काँप रहे हैं
बैठे लकड़ी ताप रहे हैं
मंकी कैप लगाए रहते
बहुत ठण्ड है सबसे कहते
बच्चे बुला रहे हैं मामा
हमको नाच दिखाओ न
मामी जी को पास बुलाकर
ठुमके जरा लगाओ न
- नीरज त्रिपाठी
शिक्षा- एम. सी. ए.
कार्यक्षेत्र – हिंदी और अंग्रेजी में स्कूली दिनों से लिखते रहे हैं | साथ ही परिवार और दोस्तों के जमघट में कवितायेँ पढ़ते रहे हैं |
खाली समय में कवितायेँ लिखना व अध्यात्मिक पुस्तके पढ़ना प्रिय है |
प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करते हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य खुश रहना और लोगों में खुशियाँ फैलाना है |
कार्यस्थल – माइक्रोसॉफ्ट, हैदराबाद