“देश नहीं झुकने दूंगा, मैं देश नहीं बंटने दूंगा “, भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी इन पंक्तियों को स्मरण करते हुए, मैं अखंड भारत की कामना करता हूँ। यूँ तो हमारे देश की आयु बहुत हो चुकी है, पर इसका पुनर्जन्म १९४७ में हुआ था। हज़ारों लाखों देश प्रेमियों ने अपने प्राणो की आहुति दी तब जाकर हमें अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी। आज ६९ साल बाद क्या हम सच में आज़ाद हैं? शायद हाँ और शायद ना। हमें तब सांप्रदायिक ताकतों ने बाँट दिया था और हम आज भी बंटे हुए है। समय के साथ सहनशीतला, हमारी नैतिकता और हमारे विवेक का पतन होता जा रहा है। हम क्षण भर किसी को बर्दाश्त नहीं कर पाते। आज कहने को तो देश अधिक शिक्षित है, किन्तु आज देश में हिंसा बढ़ती जा रही है।
आज हमारा देश बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़ा है। हमे अपने विवेक का प्रयोग करते हुए देश में हिंसा की बढ़ती गतिविधियों को रोकना है। एक सुन्दर और सुरक्षित समाज का निर्माण करना है। एक ऐसा देश जिसमें पारस्परिक सौहार्द हो , आपसी प्रेम हो , सबको तरक्की के सामान अवसर उपलब्ध हो। हमारा देश शिक्षित और सुसंस्कृत है, इसका परिचय देना है और विश्व पटल पर देश के परचम को सबसे ऊपर लहराना है।
हम आप सभी को आने वाले पर्व नवरात्र, दशहरा , दिवाली और क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें। ईश्वर से आपके और देश के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। दीवाली में पटाखें सावधानी से जलायें , बच्चों के साथ रहे और उन्हें सावधानी से रहने की सलाह दें। हम आशा करते हैं कि एम्स्टेल गंगा का ये अंक आपको पसंद आएगा। हमें अपने प्रतिपुष्टि से अवगत ज़रूर कराएं।
शेष अगले अंक में।
- अमित कुमार सिंह एवं अखिलेश कुमार