२४ सितंबर २०१४ की सुबह भारत के लिए अंतरिक्ष में कामयाबी की नई किरण लेकर आई। भारत ने एक नया इतिहास रचते हुए अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में अपना पहला मंगलयान स्थापित कर दिया है। भारत इस कदम के साथ ही मंगल ग्रह पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाला विश्व का चौथा देश बन गया है। यूरोपीय, अमेरिका और रूस जैसे मुल्कों ने कई बार की नाकामी के बाद जो सफलता हासिल की, उसे भारत ने पहले प्रयास में कर दिखाया।
सीमित साधनों के बावजूद यह कामयाबी हमारे वैज्ञानिकों के अविष्कारिक एवं लक्ष्य केंद्रित प्रयास का परिणाम है । जिन्होंने हर भारतीय को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान किया।
इसरो के वैज्ञानिकों को उनकी इस अभूतपूर्व सफलता के लिए अम्स्टेल गंगा परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें।
मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) अभियान की एक और खास विशेषता है यह अपनी श्रेणी का सबसे कामयाब और किफायती अभियान है।
हम सभी को इस महान सफलता पर गर्व है।
यह पहला अवसर नहीं है जब भारत इस तरह के आविष्कार और प्रतिभा के लिए जाना गया है। इतिहास गवाह है की भारत ने चिकित्सा और गणित के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट दक्षता प्रदर्शित की है। आज भी सारा विश्व , भारत को उसके आयर्वेद , योग और शून्य की खोज के लिए जानता है और सराहता है ।
आप सभी को आने वाले पर्व दीवाली और क्रिसमस की ढेरों शुभकामनाएं।
इस अंक के बारे में अपनी प्रतिक्रियाओं से हमें जरूर अवगत करायें ।
शेष अगले अंक में।
- अमित कुमार सिंह एवं अखिलेश कुमार