संपादकीय: जनवरी – मार्च २०१५

सर्वप्रथम हम आप सभी पाठकों को नव वर्ष की ढ़ेर सारी बधाइयाँ देते हैं। हमारी ईश्वर से प्रार्थना है कि वर्ष २०१५ आप सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और अनेकों खुशियाँ ले कर आये।
वर्ष २०१४ में विश्व ने बहुत उतार चढाव देखे। स्वदेश में सभी लोगों ने बढ़ चढ़ के देश के चुनाव में भाग लिया और देश को एक स्थिर सरकार दी। नई सरकार ने विश्व पटल पर भारत का ख़ूबसूरती से प्रतिनिधित्व किया। देश के प्रधानमंत्री के आवाहन पर आज पूरा देश हाथ में झाड़ू ले कर खड़ा है। वह दिन दूर नहीं जब स्वछ भारत का हमारा सपना साकार हो जायेगा। आज हम मंगल ग्रह तक एक बार में पहुंच गए हैं, जिससे हमारे वैज्ञानिकों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया।

अनेकों अच्छे कार्यों और पलों के बीच कई सारी दुर्घटनायें भी हुई। देश में घरेलु उग्रवादी संघटनों ने तबाही मचाई। विश्व स्तर पर, अफ्रीका में ईबोला वायरस का नर संघार, मलेशिया के तीन विमानों की दुर्घटना और उसमे सवार लोगों का दुखद अंत, क्रिमीआ विवाद, आई एस एस का विश्वव्यापी आतंक और ऐसी ढेरों दुखी करने वाली खबरें।

हम आशा करते हैं कि, वर्ष २०१५ में उग्रवादी संगठनो पर अंकुश लगे। उन्हें शांति के पथ पर अग्रसित किया जा सके और वो इन घिनौनी गतिविधियों को छोड़ दें।

हम कामना करते हैं की हमारा देश और विश्व तरक्की की राह पर आगे बढ़ता रहे। समस्त विश्व का कल्याण हो और हम एक दुसरे के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखें।

एक बार फिर आप सबको नव वर्ष और आने वाले पर्व होली की ढेरों शुभकामनायें।

अम्स्टेल-गंगा के इस अंक में आपका स्वागत है। इस अंक के बारे में अपनी प्रतिक्रियाओं से हमें जरूर अवगत करायें ।
शेष अगले अंक में।

- अमित कुमार सिंह एवं अखिलेश कुमार

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