संपादकीय: अप्रैल -जून २०१५

जीवन क्या है ? क्या ये सिर्फ इस दुनिया में आना और चंद सांसे ले कर चले जाना है? क्या हम सही में अपने जीवन के महत्व को समझते हैं ?
निःस्वार्थ भाव से लोगों और समाज की सेवा ही मानव जीवन का परम धर्म है और इसमे ही इसकी सार्थकता है । इस पावन उद्ददेश्य को प्राप्त करने के लिए स्वस्थ मन और शरीर का होना आवश्यक है।

२१ जून विश्व योग दिवस है। आइये हम प्रण करें की हम योग अभ्यास को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करेंगे। हम प्रतिदिन ध्यान अवश्य करेंगे।
इस प्रकार अपने शरीर और आत्मा को स्वस्थ रखेंगे। ध्यान हमारी आत्मा को तृप्त करने का कार्य सहजता से कर देगा और हमें अपने उद्देश्य को पुर्ण करने की शक्ति प्रदान करेगा।

गत महीने हम सभी ने होली का त्योहार मनाया। हमें पूर्ण विश्वास है कि इस वर्ष की होली आप सभी के लिए खुशियों के ढ़ेर सरे रंग ले कर आई होगी।

अम्स्टेल-गंगा लगातार हिन्दी भाषा में रूचि रखने वालों की आशा को पूरा करने के लिए तत्पर है।
हमारा उद्देश्य आप सभी तक अच्छे से अच्छे स्तर के हिन्दी साहित्य को निरंतर पहुँचाना है। इस प्रयास में आपके पत्र और आपका प्यार हमारी शक्ति बढ़ातें हैं।

अम्स्टेल-गंगा के इस अंक में आपका स्वागत है। इस अंक के बारे में अपनी प्रतिक्रियाओं से हमें जरूर अवगत करायें ।
शेष अगले अंक में।

- अमित कुमार सिंह एवं अखिलेश कुमार

- अमित कुमार सिंह एवं अखिलेश कुमार

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