” मोहित मेरे लिए सिर्फ मेरा बेटा नहीं था , वह हम दोनों के जिस्म का हिस्सा था .वो इतना ज़हीन और हरेक को इतना प्यार करने वाला इंसान था कि जब भी किसी को किसी भी कष्ट में देखता तो उसकी एक और एक ही प्रतिक्रया होती कि सामने वाले की परेशानी को किसी भी हाल में जल्द से जल्द दूर कर दिया जाए . मुझे या परिवार में किसी को हल्की सी भी तकलीफ हो जाती तो वह अपनी पूरी कोशिश के साथ हम सब को उस दिक्क्त से बाहर निकाल कर ही चैन की नींद लेता था . मेरी इच्छा थी कि वह पूरी मेहनत से पढ़ – लिखकर किसी ऐसे पेशे में जाए , जहाँ से वो अपने साथ – साथ परिवार को और उन लोगों को भी वह सब कुछ दे सके ,जो उसके मन को सुख देते हैं . समय आया तो उसने बताया कि उसका एन. डी. ए . में चुनाव हो गया है और वह भारतीय – सेना का हिस्सा बनकर अपने जीवन के उद्देश्य को नई उंचांईया देना चाहता है . मैंने उससे कहा कि तुम मेरे जिस्म का हिस्सा हो और मुझसे बिना पूछे मुझे छोड़कर जाने का फैसला कैसे ले सकते हो .तब उसका उत्तर था ,” पापा मैं आपको कहीं छोड़कर नहीं जा रहा . मैं तो वह करने जा रहा हूँ , जिसके लिए आपने मुझे जन्म दिया है और आप मेरे साथ – साथ खुद पर भी गर्व कर सकें . मैं आपका तो बेटा हूँ ही , मैं अपने देश भारत माँ का भी बेटा हूँ और उसने वह ………..” कहते – कहते शहीद के पिता का गला भर आया . इससे आगे वे कुछ न कहकर माइक से हट गए .
शहीद की शहादत के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा के मौके पर माइक से उनके हटने के बाद माइक , नेता जी को सौप दिया गया , ” देश को मोहित की शहादत पर गर्वे है . भारत माँ के इन्हीं सपूतों के बल पर देश में लोकतंत्र अर्थात जनता अर्थात आपका राज चल रहा है और दुश्मनों से भारत माँ की रक्षा हो रही है . देश पर अभी भी संकट के बादल हटे नहीं हैं . पक्के तौर पर शहीद मोहित की शहादत बेकार नहीं जायेगी और देश के हर दुश्मन को मुंहकी खानी पड़ेगी .हमारे दुश्मनों को समझ लेना चाहिए कि जिस धरती पर एक मोहित का रक्त गिरता है , वहीं अनेक मोहित भारत माँ की रक्षा के लिए पैदा हो जाते है . शहीद मोहित के बलिदान से प्रेरणा लेकर हमारे नगर के अनेक नौजवान सेना में अपनी सेवायें देने को ततपर हो चुके हैं . आने वाले चुनाव के बाद जब कुंवर शान्ति देव आपके आशीर्वाद से विधान सभा में आपके नगर का प्रतिनिधित्व करने लगेंगे तो शहीद मोहित के नाम पर एक पार्क के साथ – साथ एक मार्ग का नामकरण करने का वायदा हम , आप सबके सामने कर रहे है , जो हम अपनी जान की बाजी लगाकर करेंगे .” फिर उन्होंने थोड़ा रुक कर कहा , ” हमें क्षेत्र की विकास योजनाओ पर अधिकारिओं के साथ मीटिंग के लिए तुरंत पहुँचना है , इसलिए आप लोग हमें अनुमति दें .”
किरपा राम ने अपने साथी अमर पाल से पूछा , ” कुंवर शान्ति देव कौन है ?”
.अमर पाल .ने कहा , ” अबे मुर्ख कुंवर शान्ति देव इनका साहबजादा है जो आने वाले चुनाव में अपनी उम्मीदवारी ठोक रहा है और इन्होने उसके चुनाव प्रचार में अपनी जान की बाजी लगा दी हैं , भले ही चुनाव छ महीने दूर हैं .”..”
- सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
जन्म - स्थान : जगाधरी ( यमुना नगर – हरियाणा )
शिक्षा : स्नातकोत्तर ( प्राणी – विज्ञान ) कानपुर , बी . एड . ( हिसार – हरियाणा )
लेखन विधा : लघुकथा , कहानी , बाल – कथा , कविता , बाल – कविता , पत्र – लेखन , डायरी – लेखन , सामयिक विषय आदि .
प्रथम प्रकाशित रचना : कहानी : ” लाखों रूपये ” – क्राईस चर्च कालेज , पत्रिका – कानपुर ( वर्ष – 1971 )
अन्य प्रकाशन : 1 . देश की बहुत सी साहित्यिक पत्रिकाओं मे सभी विधाओं में निरन्तर प्रकाशन ( पत्रिका कोई भी हो – वह महत्व पूर्ण होती है , छोटी – बड़ी का कोई प्रश्न नहीं है। )
2 . आज़ादी ( लघुकथा – संगृह ) ,
3. विष – कन्या ( लघुकथा – संगृह ) ,
4. ” तीसरा पैग “ ( लघुकथा – संगृह ) ,
5 . बन्धन – मुक्त तथा अन्य कहानियां ( कहानी – संगृह )
6 . मेरे देश कि बात ( कविता – संगृह ) .
7 . ” बर्थ - डे , नन्हें चाचा का ( बाल - कथा – संगृह ) ,
सम्पादन : 1 . तैरते – पत्थर डूबते कागज़ “ एवम
2. ” दरकते किनारे ” ,( दोनों लघुकथा – संगृह )
3 . बिटीया तथा अन्य कहानियां ( कहानी – संगृह )
पुरूस्कार : 1 . हिंदी – अकादमी ( दिल्ली ) , दैनिक हिंदुस्तान ( दिल्ली ) से पुरुस्कृत
2 . भगवती – प्रसाद न्यास , गाज़ियाबाद से कहानी बिटिया पुरुस्कृत
3 . ” अनुराग सेवा संस्थान ” लाल – सोट ( दौसा – राजस्थान ) द्वारा लघुकथा – संगृह ”विष – कन्या“ को वर्ष – 2009 में स्वर्गीय गोपाल प्रसाद पाखंला स्मृति - साहित्य सम्मान
आजीविका : शिक्षा निदेशालय , दिल्ली के अंतर्गत 3 2 वर्ष तक जीव – विज्ञानं के प्रवक्ता पद पर कार्य करने के पश्चात नवम्बर 2013 में अवकाश – प्राप्ति : (अब या तब लेखन से सन्तोष )
सम्पर्क : साहिबाबाद, उत्तरप्रदेश- 201005