सोचा है मैनें
हर साल की तरह
सजाऊँगी सूनी कलाई
भाई की ….
और इस बार मांगूंगी
कुछ और …।
अपने लिए नहीं
वरन मांगूंगी
की भाई …
जब निकलो बाहर
दिखे कोई बाला
तो देखना उसमें मुझे
जो पकड़ो उसका हाथ
तो वो हो उसे बचाने को
न की हो
उसकी अस्मिता के ह्रास को
भाई बस ये वचन दो मुझे
और बचा लो
मुझमें तुम्हारी आस को
नारी के, पुरुष में विश्वाश को
- पूजा भाटिया प्रीत
नाम: पूजा भाटिया
उपनाम: प्रीत
जन्मस्थान: अकोला (महाराष्ट्र)
औपचारिक शिक्षा: जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से जीव विज्ञानं में स्नातकोत्तर
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से बी एड
व्यवसाय: विभिन्न सीबीएसई विद्यालयों में अध्यापन, बच्चों की मार्गदर्शिका एवं परामर्शदात्री, फिलहाल इंदौर में अपने पति एवं दो तूफानी बच्चों को सँभालने का पूर्णकालिक कार्य
अन्य उप्लभ्धियाँ: स्कूल एवं कॉलेज के दिनों में बास्केटबाल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी
सम्प्रति: स्वतंत्र लेखन
विधा: कहानी, हिंदी कविता एवं ग़ज़ल
प्रकाशन: प्रथम काव्य संग्रह “प्रीत” 2010 में इंदौर से प्रकाशित, विभिन्न हिंदी पत्र पत्रिकाओं में कहानिओं, कविताओं एवं ग़ज़लों का नियमित प्रकाशन
सम्मान: 2011 में विश्व पुस्तक दिवस पर शासकीय पुस्कालय इंदौर द्वारा मध्य प्रदेश के नवोदित युवा साहित्यकार पुरुस्कार से सम्मानित
सदस्यता: हिंदी साहित्य समिति इंदौर, हिंदी परिवार इंदौर की आजीवन सदस्य
अन्य उप्लभ्धियाँ: आकाशवाणी इंदौर पर कविता पाठ एवं विभिन्न मंचों से कविता पाठ
संपर्क: इंदौर-452009 (म.प्र.)