महात्मा गाँधी के विचार लोकतंत्र के लिए एक रीड के समान थे | गांधीजी ने उस समय ये विचार पूरी शक्ति से अंग्रेजो के सामने रखे की भारत को लोकतंत्र के रूप में ही चलाया जा सकता है और किसी भी हुकूमत को भारत की जनता मानने को तैयार नहीं है | वे मानते थे की लोकतंत्र में ही इतने बड़े देश को चलाया जा सकता है |उनका मानना था की लोकतंत्र की आत्मा कोई यांत्रिक यंत्र नहीं है जिसे उन्मूलन के द्वारा समायोजित किया जा सके | इसके लिये हृदय् के परिवर्तन की आवश्यकता है, भईचारे की भावना को बढाने की आवश्यकता है | यही कारण था भारत गणराज्य में सविधान को मूल में रखकर देश का संचालन गांधीजी द्वारा आगे बढाया गया |गांधीजी के से विचार आज के सन्दर्भ में एकदम सही लगते है । अक्सर ये देखा गया है कि संसदीय प्रजातंत्र में पार्टी और दल की राजनीति कार्य करती है, जिसमें जनता के प्रतिनिधि होते हैं परन्तु वास्तव में उसकी समर्पण और निष्ठा खुद के परिवार या अपनी पार्टी तक ही सीमित रहती है। जनता के कल्याण से उनका कोई लेना देना ही नहीं रहता । जो जिस पार्टी का आदमी होता है उसी को आँख मूंद कर वोट कर देता है, अथवा देने को मजबूर है। कोई इस नियम का अपवाद बन जाए तो समझ लीजिए कि उसकी सदस्यता के दिन पूरे हो गए। जितना समय और पैसा संसद बरबाद करती है उतना समय और पैसा थोडे से भले आदमियों को सौंप दिया जाय तो उद्वार हो जाय । आज के सन्दर्भ मे गाँधी के उपर्युक्त विचार सत्य प्रतीत होते हैं। निःसन्देह थोपा गया लोकतंत्र कभी भी स्थायी और सफल नहीं हो सकता । जब तक जनता स्वयं लोकतान्त्रिक भावना की आत्मानुभूति नहीं कर लेती, लेाकतंत्र केा प्रबल समर्थन नहीं मिल सकता। केवल निर्वाचन में खडा होने या मत देने के अधिकार से ही लोकतंत्र की सफलता को मापा नहीं जा सकता। अक्सर निर्वाचन के समय मतदाताओं की उदासीनता देखी गई है| लोकतंत्र के बारे में इतनी स्पस्ट राय गांधीजी ही रख सकते थे | आज के समय में गांधी जी के लोकतंत्र के सिद्धांतो को अपनाने की जरूरत है|
- राजेश भंडारी “बाबु”
जन्म स्थान : गाव ;हाजी खेडी ,तराना जिला उज्जैन (म.प्र.)
पैत्रक निवास : गाव ; झलारिया जिला ;इंदौर (म.प्र.)
वर्तमान निवास : महावीर नगर ,इंदौर (म.प्र.)
शिक्षा: एम.काम., एल.एल.बी. ,एम.बी ए.(फाइनेंस)
प्रकाशन :
स्कुल/कालेज के समय से ही लेखन कार्य में रूचि रही| नई दुनिया, देनिक पत्रिका , देनिक भास्कर ,औधिच्च बंधू ,औधिच्य समाज ,अग्निपथ ,देनिक दबंग, प्रिय पाठक,अक्छर वार्ता ,मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति की पत्रिका वीणा ,शब्द प्रवाह वा अन्य पत्र परिकाओ में समय समय पर लेख ,कविता ,व्यंग प्रकाशित | मालवी के प्रचार प्रसार हेतु समय समय पर लेख वा कविताओ का प्रकाशन | इन्टरनेट के वा अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यमों से मालवी के प्रचार प्रसार निरंतर प्रयास रत हे | यू ट्यूब पर करीब ५० वीडियो उपलोड हे |फेसबुक के माध्यम से देश विदेश के मालवी भाषी हजारों लोगो से निरंतर जुड़े हुवे हे और मालवी सस्कृति की विलुप्त होती चीजों को जन जन तक पहुचाने के लिए प्रयासरत हे |नेट ब्लॉग के माध्यम से भी मालवी को देश विदेश के लोगो तक पहुचाने में प्रयास रत हे | आज कही भी कवि गोष्ठी होती हे तो मालवी की हाजरी जरुर लगती हे अखंड संडे ,मालवी जाजम और भी कई संथाओ में नियमित मालवी कविता पाठ करने जरुर जाते हे |