ये आँसू !!!

 

ये आँसू !!! मेरे ह्रदय से निकल रहे हैं,
ये आँसू !!! मेरे ह्रदय के प्यारे मीत हैं …
सागर-किनारे बैठ शांत लहरों को देखते
मेरे आँसू मेरी पलकों का साथ छोड़ कर
मेरे गालों को गीला कर जाते हैं …
सुन्दर सागर के विशाल आगोश में
समा जाना चाहते हैं.…
अपना खारापन भी सागर को सौंप कर
सारी दुनिया में फैल जाना चाहते हैं.…
धरा से लेकर क्षितिज तक,
मेरा सन्देश फैला देना चाहते हैं कि …
मैं उन लोगों की पीड़ा से दुखी होकर
यहाँ सागर किनारे बैठी हूँ.…
जो पीड़ित हैं,असहाय हैं, शक्तिहीन हैं.…
जो अपने-अपने दुखों से दुखी हैं ,
जिन्हें मदद की जरूरत है.
मैं हर दरवाज़े पर जा कर
ऐसे लोगों को पीड़ामुक्त करना चाहती हूँ .
ओ! मेरे आँसुओं! मुझे कमज़ोर न बनाओ,
ओह! मेरे ईश्वर मुझे शक्ति दो.…
कि मैं अपने मक़सद में कामयाब हो सकूँ.

 

- मधु गुंजन

 

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