जीवन एक यात्रा है
शेष जीवन की खोज में अनवरत
ट्रेन मैं बैठे यात्री की मानिंद
छोड़ते जाते मन के नदी ,पहाड़
हरियाली और उजाड़
बैचैन मन ,शान्ति की तलाश
कभी आएगा …वो स्थान….. वो समय
अनजाने जुड़ जायेगें हाथ
बन्द हो जायेगीं आँखें
होंठ बूदबुदायेगें
गुंजेगें प्रार्थना के स्वर
खुद में विलीन होते हुए
अद्भुत मिलन
आस्था की चौखट पर
जब लहर ही किनारा बन जाए
और किनारा ही लहर
पुलकित हृदय भेज देगा
कुछ अश्रु बिंदु
और सार्थक हो जायेगी यात्रा
अगली यात्रा के लिए ……..
- मधु सक्सेना
लेखन -कहानी ,कविता ,व्यंग्य और समीक्षा ।
” मन माटी के अंकुर ” ( काव्य सन्ग्रह ) प्रकाशित ।
तीन सम्मान
साहित्यिक संस्थाओं की स्थापना ।
स्थाई निवास भोपाल ।