मुट्ठी

 

उन्ही उँगलियों से
बनती है मुट्ठी
जिसके भीतर कसा होता है
एक सरोकार

मुट्ठी के लिए
उँगलियों का होना उतना ही जरुरी है
जितना कि होना सरोकार का

और उनके एक होने का भी !

 

- अरुण चन्द्र रॉय 

संपर्क : इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद 
सम्प्रति : भारत सरकार में वरिष्ठ अनुवादक . देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में कविता प्रकाशित।

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