माफ करना

माफ करना
मैं कविता
उनके लिये नहीं लिखता
जिन्हें उजाले के बावजूद
नहीं दिखता।
मैं कविता उनके लिये भी नहीं लिखता
जो अखबार की
बुरी से बुरी खबर
सहजता से पढ़ जाते हैं
नहीं महसूस करते बैचेनी
ना छटपटाते हैं।
किसी दुर्घटना स्थल पर
बिखरे खून छींटे
जिन्हें असहज नहीं करते
लाशों पर नजर डाल
जो निर्विकार आगे बढ़ते जाते हैं।
जो गलत को हमेशा मान लेते सही है
हां, मेरी कविता उनके लिये नहीं है।
पड़ोस में
दहेज खातिर
बहुत जिंदा जला दी जाय
या नाबालिग इज्जत लूट ली जाय
दुनिया भाड़ में जाय
लेकिन उन पर कोई
फर्क नहीं पड़ता
मैं कविता
उनके लिये कतई
नहीं लिखता।
हां ,मेरी कविता
उनके लिये है
जो जुल्मों सितम के खिलाफ
हाथ में मशाल लिये हैं।
जो अंधेरों में रोशनी के फिक्रमंद हैं
जो बेबस लाचार हैं
जरूरतमंद हैं।
जो अमीरों की खातिर
अपनी मेहनत उधार देते हैं
कई रात भूखे गुजार देते हैं।
जिनकी मंजिलें दूर
रास्ते बंद हैं।
फिर भी
वे तस्वीरें बदलने के
ख्वाहिशमंद हैं।
जो मुठ्ठी ताने
इंकलाब के लिये
लामबंद हैं।
हां,उनके लिये
मेरे पास धड़कते गीत
सुलगते छंद हैं।
जो तस्वीर बदलने के लिये
सचमुच फिक्रमंद हैं।

- नीरज नैथानी

जन्म : १५ जून 

लेखन: कविता,लघू कथा,नाटक,यात्रा सन्स्मरण,व्य्न्ग्य,आलेख आदि। 

पुस्तकें: डोन्गी(लघू कथा संग्र्ह)हिमालय पथ पर(पथारोहण सन्स्मरण)विविधा(व्य्न्ग्यसन्ग्र्ह),लंदन से लीस्तर(यात्रा सन्स्मरण),हिम प्रभा(काव्य संग्रह),

पुरस्कार: राष्ट्रपति पुरस्कार,राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, शलेश मटियानी सम्मान, हिंदी भूषन, विद्या वचस्पति, राष्ट्रीय गौरव आदि 

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनो में: लंदन,मोरिशस,दुबई ,नेपाल आदि प्रतिभाग

पता : श्रीनगर गड़वाल, भारत

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