मेरा जीवन मेरी साँसे,
ये तेरा एक उपकार है माँ!
तेरे अरमानों की पलकों में,
मेरा हर सपना साकार हुआ माँ!
तेरी छाया मेरे सर माया ,
तेरे बिन ये जग अस्वीकार है माँ!
ममता के सागर की इक बूँद से,
मेरा जीवन बन जाता मधुबन,
माँ तेरी ममता की उस छाँव से,
बचपन बन जाता जैसे उपवन,
मैं छुलूं गगन को चाहे,
तू ही बनती मेरा आधार है माँ!
तेरा प्रतिबिम्ब है मेरी सीरत में,
तूने ही दी चित्तवृत्ति हैं माँ!
तू ही है भगवान मेरी,
तुझ मे ही ये संसार है माँ!
जब सूरज को दिखाता दीपक हूँ,
वो ही तेरा ही प्रताप है माँ!
क्यूँ राम ने भी चाहा तेरा पालना
क्यूँ कान्हा तेरी कोख में आये?
क्या है तेरे इस आँचल में?
जो हर भय को दूर भगाए?
तेरी ममता का है जग कायल
आंसू तेरे बने गंगाजल
तू अमृतामयी गागर के जैसी
तू धड़कनो की सुरमयी संगीत जैसी
तुने दिया मुझे पहचान का इक नाम
वो करे तेरी ममता को सलाम।।कांत।।
- सुरेश शर्मा ‘कांत’
जयपुर , राजस्थान ,
भारत