संविधान की ठीक नाक पर
एक खूबसूरत चेहरा गिद्ध की तरह
चुपचाप बैठ जाता है
और फिर नोचने लगता है
प्रजातन्त्र की मवाद भरी खाल,
हिंदुस्तान के भूखे दिमाग में करता है
एक गहरा सूराख,
खून से रंग जाती है संविधान की नाक।
एक खूबसूरत हाथ सुबह से शाम तक
चुन-चुन कर सैकड़ों हत्याएं करता है
और फिर हत्यायें हो चुकने के बाद
किसी देवता की मुद्रा में आशीर्वाद देने लगता है।
सदन में हर सभ्य आदमी
दिन के उजाले में
भारतीय सिक्के-सा दिखता है
और रात के अंधेरे में
किसी विदेशी मुद्रा में तब्दील हो जाता है,
राजधानी के कुछ नामी तस्करों की
जांघ पर सिर रखकर चुपचाप सो जाता है।
सारा मुल्क पढ़ता है
एक बौखलायी हुई कुर्सी की भाषा
काले कानून के सत्तारूढ़ चुटकुले
संभावित वसंत के टुच्चे मुहावरे
मेरे सीने में सुलगता है
तिलमिलाती कविता का आक्रोश,
गिलहरी-सी मुझे कुतरती है समाजवादी टोपियां
एक औरत की प्रसन्नचित्त मुद्राएं।
यही वह स्थिति है जहां मैं कविता को
किसी चमचमाते खंजर की तरह इस्तेमाल करता हूं
शब्दों में / इस घिनौनी व्यवस्था के खिलाफ
किसी मसीहा की तरह बार-बार उभरता हूं।
- रमेशराज
पूरा नाम- रमेशचन्द्र गुप्त
पिता- लोककवि रामचरन गुप्त
जन्म-15 मार्च , गांव-एसी, जनपद-अलीगढ़
शिक्षा -एम.ए. हिन्दी, एम.ए. भूगोल
सम्पादन- तेवरीपक्ष [त्रैमा. ]
सम्पादित कृतियां
1. अभी जुबां कटी नहीं [ तेवरी-संग्रह ]
2. कबीर जि़न्दा है [ तेवरी-संग्रह]
3. इतिहास घायल है [ तेवरी-संग्रह ]
4-एक प्रहारः लगातार [ तेवरी संग्रह ]
स्वरचित कृतियां
रस से संबंधित-1. तेवरी में रससमस्या और समाधान 2-विचार और रस [ विवेचनात्मक निबंध ] 3-विरोध-रस 4. काव्य की आत्मा और आत्मीयकरण
तेवर-शतक
लम्बी तेवरियां-1. दे लंका में आग 2. जै कन्हैयालाल की 3. घड़ा पाप का भर रहा 4. मन के घाव नये न ये 5. धन का मद गदगद करे 6. ककड़ी के चोरों को फांसी 7.मेरा हाल सोडियम-सा है 8. रावण-कुल के लोग 9. अन्तर आह अनंत अति 10. पूछ न कबिरा जग का हाल
शतक
1.ऊघौ कहियो जाय [ तेवरी-शतक ] 2. मधु-सा ला [ शतक ] 3.जो गोपी मधु बन गयीं [ दोहा-शतक ] 4. देअर इज एन ऑलपिन [ दोहा-शतक ] 5.नदिया पार हिंडोलना [ दोहा-शतक ] 6.पुजता अब छल [ हाइकु-शतक ]
मुक्तछंद कविता-संग्रह
1. दीदी तुम नदी हो 2. वह यानी मोहन स्वरूप
बाल-कविताएं-
1.राष्ट्रीय बाल कविताएं
प्रसारण-आकाशवाणी मथुरा व आगरा से काव्य-पाठ
सम्मानोपाधि-
‘साहित्यश्री’, ‘उ.प्र. गौरव’, ‘तेवरी-तापस’, ‘शिखरश्री’
अभिनंदन-सुर साहित्य संगम [ एटा ] , शिखर सामाजिक साहित्कि संस्था अलीगढ़
अध्यक्ष-1.सार्थक सृजन [ साहित्यक संस्था ] 2.संजीवन सेवा संस्थान ;सामाजिक सेवा संस्था 3.उजाला शिक्षा एवं सेवा समिति [ सामाजिक संस्था ]
पूर्व अध्यक्ष-राष्ट्रीय एकीकरण परिषद, उ.प्र. शासन, अलीगढ़ इकाई
सम्प्रति- दैनिक जागरण’ से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में सम्बद्ध
सम्पर्क- 15/109, ईसानगर, निकट-थाना सासनी गेट, अलीगढ़ [ उ.प्र. ]