बीज मंत्र

 

रे पथिक, कभी न रुक
ताड़ के पेड़ सा
छू गगन ;कभी न झुक
लाँघ ले व्यवधान सब
तोड़ दे पाषाण अब
गिरा सभी प्राचीर –बाँध
मोड़ ले हवा का रुख |
जो बढा, जिया वही
बीज मन्त्र है यही
हो विजय बल –कर्म की
संकल्प से ना हो विमुख |
मुड़ो जिधर, डगर मुड़े
कारवां आ संग जुड़े

ना सुध हो हार –जीत की
लक्ष्य ही हो प्रमुख
रचो कोई नई कथा
पंथ नव , नई प्रथा
थाम नई लेखनी
लिखो सभी का भाग्य–सुख |
कभी ना रुक, कभी ना झुक !!!!!

 

-शशि पाधा

जम्मू  में जन्मी शशि पाधा का बचपन साहित्य एवं संगीत के मिले जुले वातावरण में व्यतीत हुआ | उनका  घर   माँ के भक्ति गीतों, पिता के संस्कृत श्लोक तथा भाई के लोक गीतों के पावन एवं मधुर सुरों से सदैव  गुंजित रहता |  पढ़ने के लिए हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकारों की पुस्तकें तथा पत्र- पत्रिकाएँ सहज उपलब्ध थीं | शायद यही कारण था कि शशि जी बाल्यकाल से ही बालगीत/ लघुकथाएँ रचने लगीं | 

इन्होंने जम्मू – कश्मीर विश्वविद्यालय से एम.ए हिन्दी ,एम.ए संस्कॄत तथा बी . एड की शिक्षा ग्रहण की । वर्ष १९६७ में यह सितार वादन प्रतियोगिता में राज्य के प्रथम पुरुस्कार से सम्मानित हुईं । वर्ष १९६८ में इन्हें जम्मू विश्वविद्यालय से “ऑल राउंड बेस्ट वीमेन ग्रेजुयेट ” के पुरुस्कार से सम्मनित किया गया ।

 इन्होंने आकाश्वाणी जम्मू के नाटक, परिचर्चा, वाद विवाद , काव्य पाठ आदि विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया तथा लगभग १६ वर्ष तक भारत में हिन्दी तथा संस्कृत भाषा का अध्यापन कार्य किया । सैनिक की पत्नी होने के नाते इन्होंने सैनिकों के शौर्य  एवं बलिदान से अभिभूत हो  अनेक रचनाएं  लिखीं । अपने कालेज के दिनों में शशि ने वाद विवाद प्रतियोगितायों में तथा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया | वे कालेज की साहित्यिक पत्रिका “द्विगर्त” की संपादिका भी रहीं | भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने  इनकी सैनिकों के विषय में लिखी रचनायों को पढ़ने के बाद उनको सराहना पूर्ण पत्र  लिखा जिसे यह अपने जीवन की उपलब्धि मानती हैं | अमेरिका में इन्होने कई काव्य गोष्ठियों में कविता पाठ किया |

 इनके लेख, कहानियां एवं काव्य रचनायें ” पंजाब केसरी ”   “दैनिक जागरण “ एवं देश विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकायों में छ्पती रहीं। इनके गीतों को अनूप जलोटा, शाम साजन , प्रकाश शर्मा तथा अन्य गायकों ने स्वर बद्ध करके गाया ।

 वर्ष २००२ में यह यू.एस आईं । यहां नार्थ केरोलिना के चैपल हिल विश्व्वविद्यालय में हिन्दी भाषा का अध्यापन कार्य किया ।  शशि जी की रचनाएं विभिन्न  पत्रिकायों में प्रकाशित हुई हैं जिनमें से प्रमुख हैं “हिंदी चेतना”, “हिंदी जगत” “अनुभूति – अभिव्यक्ति” , साहित्यकुंज , गर्भनाल , साहित्यशिल्पी, सृजनगाथा ,कविताकोश, आखरकलश तथा   पाखी |

शशि जी के तीन कविता संग्रह “पहली किरण” “मानस मंथन” तथा “अनंत की ओर “ प्राकाशित हो चुके हैं | कविता के साथ साथ वे  आलेख ,संस्मरण तथा लघुकथाएं भी लिखतीं हैं |

 संप्रति वे  अपने परिवार के साथ अमेरिका के  मेरीलैंड राज्य में रहतीं हुईं साहित्य सेवा में संलग्न हैं |

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