भावनाओं का चौसर
शब्द लिखे सपनों के पासे
बिना कोई कट्टम कुट्टी के
आओ खेलें…
शब्द एक हों
या छः
आगे बढ़ना ही है
बिना कटे निर्भय बढ़ना
मंजिल तक का निश्चित भरोसा
सोचो न …कोई झगड़ा ही नहीं होगा
कित्ता मज़ा आएगा !
रंगों का भी हम द्वन्द नहीं रखेंगे
लाल पीले हरे नीले
सब रंगों से खेलेंगे
माहौल में सिर्फ खिलखिलाहट होगी
चौसर तोड़ने फाड़ने की
कोई नौबत नहीं आएगी !
*
पहले तो हम सपरिवार अपने ही राज्य में थे
अब – अलग अलग राज्यों की कौन कहे
विदेशों में भी हम रहने लगे घर बनाकर
इतने दूर हो गए
कि मिलने का समय समाप्त हो गया
कभी सोचा है
घर के कोने में अधफटा कागज़ी चौसर
हर आहट पर चौंकता है
हमारी बाट जोहता है
इस विश्वास के साथ
कि सांझ होते हम सब घर लौटेंगे
यह गाते हुए -
‘लाख लुभाए महल पराये
अपना घर फिर अपना घर है …’
तब हमें भी तो सोचना होगा न
*
न चिढ़ायेंगे,न रुलायेंगे,न झगड़ेंगे
सिर्फ खेलेंगे -
अपनी अपनी भावनाओं को साझा करेंगे
कभी मन हुआ तो अपना अंक
दूसरे को दे देंगे
बिना किसी नियम के
हम खेलेंगे
और एक ही पलंग पर आड़े तिरछे सो जायेंगे …
सोचो,
वह सुबह अपनी होगी…….
और वह सुबह ज़रूर आएगी
क्योंकि हमें लाना है
हर तू तू,मैं मैं, अहम् को ताक पे रखकर
तुम भी सोचो,हम भी सोचें
बिना कोई कट्टम कुट्टी के ….
- रश्मि प्रभा
परिचय :
एक नाम से बढ़कर जीवन अनुभव होता है .
एक ही नाम तो कितनों के होते हैं
नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है
हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए
असली परिचय वही होता है …
पर मांगते हैं सब सांसारिक परिचय
तो यह है एक छोटा सा परिचय मेरा आपके बीच -
प्रकाशित कृतियाँ
काव्य-संग्रह: शब्दों का रिश्ता (2010), अनुत्तरित (2011), महाभिनिष्क्रमण से निर्वाण तक (2012), मेरा आत्मचिंतन (2012), एक पल (2012) संपादन:अनमोल संचयन (2010), अनुगूँज (2011), परिक्रमा (2011), एक साँस मेरी (2012), खामोश, खामोशी और हम (2012), वटवृक्ष (साहित्यिक त्रैमासिक एवं दैनिक वेब पत्रिका)-2011 से निरंतर।
ऑडियो-वीडियो संग्रह: कुछ उनके नाम (अमृता प्रीतम-इमरोज के नाम)
सम्मान: परिकल्पना ब्लॉगोत्सव द्वारा वर्ष 2010 की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री का सम्मान।
पत्रिका ‘द संडे इंडियन’ द्वारा तैयार हिंदी की 111 लेखिकाओं की सूची में नाम शामिल।
परिकल्पना ब्लॉगर दशक सम्मान – 2003-2012
शमशेर जन्मशती काव्य-सम्मान – 2011
भोजपुरी फीचर फिल्म साई मोरे बाबा की कहानीकार, गीतकार
