१
सूरज दादा
सूरज दादा
सूरज दादा सूरज दादा
रोज़ निभाते अपना वादा ।
रोज़ निभाते अपना वादा ।
सुबह सवेरे ही तुम आते
इस जग को तुम रोज़ जगाते।
इस जग को तुम रोज़ जगाते।
गरमी में तन को झुलसाते
सरदी में कितना इतराते ।
सरदी में कितना इतराते ।
तुम ही करते जग उजियारा
तुम बिन जग में है अँधियारा ।
तुम बिन जग में है अँधियारा ।
२
मोर निराला
मोर निराला
नीला-नीला मोर निराला
नाचे देखे मेघा काला।
नाचे देखे मेघा काला।
पंखों को वो जब फैलाए
जो देखे मोहित हो जाए ।
जो देखे मोहित हो जाए ।
सुन्दर -सुन्दर प्यारा- प्यारा
राष्ट्रीय पक्षी यही हमारा ।
राष्ट्रीय पक्षी यही हमारा ।
३
टामी
टामी मेरे कुत्ते का नाम
करता घर के बहुत से काम ।
मुँह में वो अखबार दबाता
पापा को झटपट दे आता ।
टामी
टामी मेरे कुत्ते का नाम
करता घर के बहुत से काम ।
मुँह में वो अखबार दबाता
पापा को झटपट दे आता ।
जब हम उसको ब्रेड खिलाएँ
तभी प्यार से पूँछ हिलाए ।
इक खटके से देखो चौके
शक होने पर कितना भौंके ।
तभी प्यार से पूँछ हिलाए ।
इक खटके से देखो चौके
शक होने पर कितना भौंके ।
४
तोता
तोता
मीतू ने एक तोता पला
बातूनी पर भोला भाला ।
बातूनी पर भोला भाला ।
करते हैं उसे सभी पसंद
कर दिया उसे पिंजरे में बंद ।
कर दिया उसे पिंजरे में बंद ।
नीतू ने जब पिजरा खोला
‘यहीं रहूँगा’- तोता बोला।
‘यहीं रहूँगा’- तोता बोला।
मुझको लगता घर ये प्यारा
मैं सबकी आँखों का तारा ।
मैं सबकी आँखों का तारा ।
५
नानी दादी
नानी दादी
मेरी प्यारी नानी , दादी
मैं तो उनकी हूँ शहज़ादी ।
आँखें उनकी काली -भूरी
मुझे खिलाती हलवा -पूरी ।
मैं तो उनकी हूँ शहज़ादी ।
आँखें उनकी काली -भूरी
मुझे खिलाती हलवा -पूरी ।
मेरी नानी जब घर आती
दोनों मिलकरके बतियाती ।
दोनों मिलकरके बतियाती ।
मैं करती हूँ उनकी सेवा
देती मुझको टॉफी , मेवा ।
देती मुझको टॉफी , मेवा ।
६
आओ मिलकर योग करें
आओ मिलकर योग करें
आओ मिलकर योग करें
हम बालक भी योग करें |
हम बालक भी योग करें |
आलस को तुम त्यागो जी
सुबह को जल्दी जागो जी
दूर सभी हम रोग करें
आओ मिलकर योग करें |
सुबह को जल्दी जागो जी
दूर सभी हम रोग करें
आओ मिलकर योग करें |
प्यारा – प्यारा तन – मन है
सेहत है तो जीवन है
सभी को हम निरोग करें
आओ मिलकर योग करें|
सेहत है तो जीवन है
सभी को हम निरोग करें
आओ मिलकर योग करें|
ऋषि -मुनि सारे योगी थे
कभी नहीं वो रोगी थे |
हर पल का उपयोग करें
आओ मिलकर योग करें |
कभी नहीं वो रोगी थे |
हर पल का उपयोग करें
आओ मिलकर योग करें |
- ज्योत्स्ना प्रदीप
शिक्षा : एम.ए (अंग्रेज़ी),बी.एड.
लेखन विधाएँ : कविता, गीत, ग़ज़ल, बालगीत, क्षणिकाएँ, हाइकु, तांका, सेदोका, चोका, माहिया और लेख।
सहयोगी संकलन : आखर-आखर गंध (काव्य संकलन)
उर्वरा (हाइकु संकलन)
पंचपर्णा-3 (काव्य संकलन)
हिन्दी हाइकु प्रकृति-काव्यकोश
प्रकाशन : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन जैसे कादम्बिनी, अभिनव-इमरोज, उदंती, अविराम साहित्यिकी, सुखी-समृद्ध परिवार, हिन्दी चेतना ,साहित्यकलश आदि।
प्रसारण : जालंधर दूरदर्शन से कविता पाठ।
संप्रति : साहित्य-साधना मे रत।