तुम ही बतलाओ मुझको
कैसे स्कूल मैं जाऊं
बोझ बस्ते का इतना भारी
उठा नहीं मैं पाऊं।
सब मुझसे कहते रहते
अच्छे बच्चे पढ़ते रोज
लेकिन है मुझसे ज्यादा
मेरे बस्ते का बोझ।
क्यों नहीं समझता कोई
मेरी यह मजबूरी
रट्टू तोता बनने से ही क्या
शिक्षा हो जाती पूरी।
थोड़ी समझ बड़ों को दे दो
ओ मेरे प्यारे भगवान
बस्ता हलका करवाओ मेरा
पढ़ना हो जाए आसान।
- राजकुमार जैन ’राजन’
जन्म तिथि : २४ जून
जन्म स्थान : आकोला, राजस्थान
शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी)
लेखन विधाएं : कहानी, कविता, पर्यटन, लोक जीवन एवं बाल साहित्य
प्रकाशन : लगभग तीन दर्जन पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाओं में हजारों रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : आकाशवाणी व दूरदर्शन
संपादन : कर्इ पत्र-पत्रिकाओं का संपादन
पुरस्कार व सम्मान : राष्ट्रीयप्रादेशिक स्तर पर ६० सम्मान
संस्थापक : ‘सोहनलाल द्विवेदी बाल साहित्य पुरस्कार,
‘डॉ राष्ट्रबंधु स्मृति बाल साहित्य सम्मान एवं कर्इ साहित्यिक सम्मानों के प्रवर्तक,
विशेष : बाल साहित्य उन्नयन व बाल कल्याण के लिए विशेष योजनाओं का कि्रयान्वयन
संपर्क : चित्रा प्रकाशन, आकोला , चित्तौडगढ़ (राजस्थान)