दंगे तो शांत हो गए, मगर माहौल पूरी तरह पहले जैसा नहीं बन पाया था. दंगों में हुई बशीर की मौत से अफजल बौखला सा गया था. अक्सर चाकू को धार देते उसके हाथ किसी हिन्दू का गला काटने की ख़्वाहिश करने लगते. मगर इन्सान की जान लेना इतना आसान भी कहाँ होता है. वह मन ही मन घुटता जा रहा था.
आखिर अपनी नफरत को सुकून देने के लिए उसने मौका पा कर नीम अँधेरे ही सुनसान में उस अनजान अधेड़ तिलकधारी अधपागल को पकड़ लिया.
पेट में चाकू घुसेड़ने ही वाला था कि संयोगवश अनाथालय चलाने वाली मिसेज मार्था ने देख लिया.
“नहीं अफजल! रूक जा, वो तेरा बाप है.” मार्था चिल्लाई.
भौचक रह गए अफजल के हाथ अटक गए.
“क्या बकवास कर रही हैं आप? ये काफिर मेरा बाप?” अफजल गुर्राया.
“हाँ मेरे बच्चे! मैने इसे पहचान लिया. कई साल पहले यही मेरे अनाथालय के दरवाजे पर तुझे छोड़ गया था.” मार्था ने बताया.
“तेरा बाप बशीर मेरे पास से ही तुझे गोद ले गया था.” उन्होने आगे खुलासा किया.
अगले कुछ पल किंकर्तव्यविमूढ से खड़े अफजल के लिए पहाड़ से हो गए थे.
आज उस घटना को याद करती मार्था के चेहरे पर एक सुकून सा झलक रहा था.
“क्या तुम्हे पूरा विश्वास है कि वही अफजल को हमारे अनाथालय में छोड़़ गया था?” अपने कमरे में बैठे पीटर ने मार्था से पूछा.
“नहीं. मैने उसे पहली बार देखा था.” आरामकुर्सी की पुश्त पर सिर टिकाते हुए मार्था ने कहा.
“फिर इतना बड़ा झूठ…..” पीटर ने आँखों में अचरज भर कर पूछा.
“इस झूठ से मैने एक जिंदगी बचाई है, एक टूटते हुए बेटे को बाप दिया है, और धर्मान्धता की राह पर अपराधी बनने जा रहे बच्चे को वापस इन्सान बनाया है.”
खुली खिड़की से उस रफ ईशारा करते हुए मार्था ने कहा, जहाँ अफजल उस अधपगले अधेड़ को अपने हाथों से खाना खिला रहा था.
डॉ. कुमारसम्भव जोशी
जन्मस्थान :- सीकर (राजस्थान)
शिक्षा :- बी ए एम एस
व्यवसाय :- आयुर्वेद चिकित्साधिकारी,
आयुर्वेद विभाग राजस्थान सरकार में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के पद पर सेवारत
• अक्टूबर 2016 से लघुकथा विधा में सक्रिय.
• शताधिक लघुकथाओं का लेखन.
• दो चिकित्सा विषयक पुस्तकों “चिकित्सा संभव” एवं “निदान संभव” का लेखन (शीघ्र प्रकाश्य)
• साझा लघुकथा संकलन- नयी सदी की धमक, आस पास से गुजरते हुए, उद्गार, लघुकथा कलश, आदि में लघुकथाऐं प्रकाशित.
• स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में लघुकथाओं का प्रकाशन.
• विभिन्न फेसबुक समूहों में कई लघुकथाऐं पुरस्कृत.
• अमन साहित्यपीठ संस्था, लक्ष्मणगढ़ द्वारा वर्ष के साहित्यकार से सम्मानित.
• मेरी लघुकथा ‘गुब्बारे’ पर आधारित शॉर्ट फिल्म इन्टरनेशनल शॉर्ट फिल्म फैस्टिवल हेतु चयनित.
• दिशा प्रकाशन की महत्वपूर्ण शृंखला ‘पड़ाव और पड़ताल’ खण्ड 29 में विमर्श व समीक्षार्थ चयनित.