मनी प्लांट के गमले में पानी डालती मालती का मन नए पत्तों के पल्लवित होने पर उसकी खुशी को दुगना कर देते थे . सृजन प्रक्रिया का क्रम उसके दाम्पत्य जीवन को चिढा भी रहा था ….. . .
निसंतान मालती और मोनेश की बेचैनी उनके मुख मंडल पर स्पष्ट दिखाई देती थी . उन दोनों ने बच्चे की चाह में नंगे पैर गंगा में नहाकर के मंदिरों में जाकर कितनी सारी प्रार्थनाएं की थी , तीर्थ नगरियों में जाकर कितने टोने – टोटके , तंत्र – मन्त्र , जाप , दान , पुण्य भी किए थे और कितने ही सिद्ध साधु – संतों की शरण में भी गए थे . अंत में अत्याधुनिक आईएमएसआई ( इम्सी , तकनीक पुरुष इन्फर्टिलिटी) और आईवीएफ उपचार ( टेस्ट ट्यूब बेबी ) भी कराया . लेकिन सारे उपाय किस्मत के सपनों को उड़ान ना दे सके , नाकाम रहें . इसी गम में डूबी खामोश मालती की चिंता दूर करने के लिए मोनेश ने उसके कंधे पर प्यार भरा हाथ रख के बड़ी सधी आवाज में कहा – ‘ क्यों न हम अनाथालय से बेटी गोद ले लें ?’
मालती को उस पल ऐसा लगा कि मौन सवालों को जवाब मिल गया , उसके मन में मनी प्लांट की फुनगी आकार लेगी . उसकी आंतरिक खुशी होंठों पर मुस्कराने लगी , मोनेश को उसकी मुस्कान सहमती जताती लगी और दोनों ने अनाथालय से पांच माह की नन्हीं बच्ची गोद लेने की कवायद पूरी की . उम्मीदों का सपना सच हुआ , घर – आंगन में किलकारियाँ गूंजने लगी और नामकरण का हवन करवा पंडित ने सुन्दरी नाम रख दिया . किलकारियों की आवाज सुन अड़ोसी – पड़ोसी मालती को बधाइयां देने आए , वह सबका मिठाई से मुँह मीठा कराती और सुंदरी को ले चूमती . सारा दिन उस के इर्दगिर्द मेट्रो ट्रेन की तरह तेजी से घूमता . कब सुबह होती , कब रात होती उसके पालन – पौषण में पता ही नहीं लगता . खुद अपने हाथों से फ्राक सिल , काढ़ाई कर पहनाती , नजर से बचने के लिए चाँद से मुखड़े पर नजर का टीका लगाती . रोते – हंसते लाडली सुंदरी ने अल्हड जवानी में कदम रखा .
अपनी जिम्मेदारी बखूबी से संभालती मालती ने सुंदरी की शादी के सपने संजोने लगी और तरह – तरह के परिधान सलवार सूट , साड़ी , गहने इकट्ठा करने लगी . कितने डिजाइनर सलवार सूट उसने खुद ही बनाए थे ,उन पर शीशे की कढ़ाई से शीशे ऐसे जड़े थे कि जैसे
कि आसमान के तारे दमक रहे हो या कोई शीश महल गढ़ दिया हो . जब सुंदरी माँ के कसीदे को निहारती तो उन शीशों में सुंदरी का अनंत प्रतिबिम्ब माँ को दुल्हन – सा नजर आता . स्वेटर , कार्डिगन बुनने में उसकी अंगुलियों पर सलाइयां ऐसी तेज चलती थी कि कुछ घंटों में आस्तीन पूरी हो जाती थी .
इधर सुंदरी का प्रेम प्रसंग मयंक के साथ प्यार की पींगे लड़ा रहा था . प्रेम के भावुक जाल में अधकच्चा प्यार उलझ रहा था और केरियर का सपना धरा का धरा ही रह गया . प्रेम ऋतु के रंगीन दल- दल में धंसती जा रही थी . उधर मालती का विश्वास बेटी की करतूतों से तार – तार हो रहा था . उसकी प्रेम लीला घर को जहरीली कर रही थी,यह असहनीय पीड़ा मालती की आँखों में से चौमासे की झड़ी जैसी अविरल बह रही थी ,सुंदरी का प्रेम रोग कातर , बेरंग नजर आ रहा था . सुंदरी को माँ – पिता की बातें अच्छी नहीं लगती और उन्हें शब्दों के बाणों से अपमानित कर दिल में जख्म कर देती थी .
मालती – मोनेश का मन इस रिश्ते से राजी न था , सुंदरी को समझाने की उनकी कोशिशें बेकार साबित हो रही थी .बेटी अभी इस लायक नहीं हो कि अपना हमसफर खुद तय करो . तुम नहीं समझ सकती ………………अभी ….. …. .
ममता के रिश्तों की नींवें घुटन , तनावों से हिलने लगी , मालती के माथे पर चिंता की सलवटों पर गोद ली बेटी का एक – एक खुशी का पल , यादें मानो उसे डस रही हो . जैसे उसने सांपेलोंको दूध पिला कर बड़ा किया हो और अपने को मन ही मन धिक्कार रही थी …….सुनी गोद ही ठीक थी ………! यह कैसी कुघड़ी आयी है ? नफरत की कशमकश में हैवानियत की हदों को पार करती खूंखार सुंदरी और मयंक ने प्रेम की रुकावट बने मालती और मोनेश को सदा के लिए धारदार वारों से खामोश कर दिया .
वात्सल्य , ममता का सूर्ख प्रेम रंग खूनी धब्बों से लथपथ धरा कातिल बेटी और प्रेमी को धिक्कार रही थी .चारों ओर हाहाकार गूँज रहा था .
सृजन प्रक्रिया की यह लाडली पत्ती नफरत का मनी प्लांट बन उनके दांपत्य जीवन को चिढा रहें थे .
- मंजु गुप्ता
जन्म : ऋषिकेश , उत्तरांचल
शिक्षा : एम.ए ( राजनीति शास्त्र ) , बी.एड
शिक्षण : हिंदी शिक्षिका, जयपुरियार सीबीएससी हाईस्कूल, सानपाड़ा नवीमुंबई
संप्रति : सेवा निवृत मुख्य अध्यापिका , श्री राम है स्कूल , नेरूल , नवी मुंबई।
कृतियाँ : प्रांतपर्वपयोधि काव्य,दीपक नैतिक कहानियाँ,सृष्टि खंडकाव्य,संगम काव्य अलबम नैतिक कहानियाँ , भारत महान बालगीत सार निबंध,परिवर्तन कहानियाँ।
प्रेस में : जज्बा ( देश भक्ति गीत )
रुचियाँ : बागवानी , पेंटिंग , प्रौढ़ शिक्षा और सामाजिकता
प्रकाशन : देश – विदेश की विभिन्न समाचारपत्रों ,पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
उपलब्धियां : समस्त भारत की विशेषताओं को प्रांतपर्व पयोधि में समेटनेवाली प्रथम महिला कवयित्री , मुंबई दूरदर्शन से सांप्रदायिक सद्भाव पर कवि सम्मेलन में सहभाग , गांधी जीवन शैली निबंध स्पर्धा में तुषार गांधी द्वारा विशेष सम्मान से सम्मानित , माॅडर्न कॉलेज वाशी द्वारा सावित्री बाई फूले पुरस्कार से सम्मानित , भारतीय संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा प्रीत रंग में स्पर्धा में पुरस्कृत , आकाशवाणी मुंबई से कविताएँ प्रसारित , विभिन्न व्यंजन स्पर्धाओं में पुरस्कृत, अखिल भारतीय कविसम्मेलन में सहभाग ।
सम्मान : वार्ष्णेय सभा मुंबई , वार्ष्णेय चेरिटेबल ट्रस्ट नवी मुंबई , एकता वेलफेयर असोसिएन नवी मुंबई , मैत्री फाउंडेशन विरार , कन्नड़ समाज संघ , राष्ट्र भाषा महासंघ मुंबई , प्रेक्षा ध्यान केंद्र , नवचिंतन सावधान संस्था मुंबई कविरत्न से सम्मानित , हिन्द युग्म यूनि कवि सम्मान , राष्ट्रीय समता स्वतंत्र मंच दिल्ली द्वारा महिला शिरोमणी अवार्ड के लिए चयन आदि।
संपर्क : द्वारका, नवी मुंबई, भारत