पेड़ों की छांव तले फाउंडेशन की ५० वीं साहित्यिक गोष्ठी संपन्न हुई

१८ नवंबर, रविवार, शाम को ३.00 बजे “सेंट्रल पार्क” सेक्टर-4 वैशाली, गाज़ियाबाद में मासिक साहित्यिक गोष्ठी पेड़ों की छांव तले रचना पाठ के ५० वें संस्करण में “प्रकाश पर्व व बाल साहित्य” विषय से संबन्धित गीत गजल कविताओं का दौर देर शाम तक अनवरत चला ।
काव्य गोष्ठी में आमंत्रित कवियों में वरिष्ठ कवि व कहानी कार सुरेन्द्र अरोड़ा ने महावीर चक्र विजेता मेजर कुलदीप सिंह के निधन पर श्रद्धांजली देते हुए गंभीर कविता पढ़ी “ जब भी तुम दीपावली  पर ढेर सारे दीप जलाओगे , या / हर साल  आजादी का  जश्न मनाओगे / मैं आउगां तुमसे मिलने , हर भोर के साथ ”। इसी क्रम में कन्हैया लाल खरे ने पढ़ा “ आवो मिल कर दिये जलाएं / सबके दिल में ज्योति भरे, घर-घर पायल की धुन बाजे / बंसुरी हर कोई अधर धरे ।  वरिष्ठ कवि अवधेश सिंह ने पढ़ा “मेरे हिस्से में सिर्फ रातों के अंधेरे क्यों हैं / रह गुजर में मेरे सिर्फ आज लुटेरे क्यों हैं / सूरज की रोशनी को कैद किया है जिसने /उसके कब्जे में आज मेरे सवेरे क्यों हैं” गंभीर काव्य पाठ किया । कवि इंद्रजीत सुकुमार ने तरन्नुम के साथ पढ़ा “जो अपने आप बनता है वो रिश्ता तोड़  आया हूँ / किसी को सर झुकाए मै सिसकता छोड़ आया हूँ / मेरे बीते हुए लम्हों  मुझे आवाज   ना   देना /किसी की आँख मे आँसू छलकता छोड आया  हूँ/” वहीं कवि रामेश्वर प्रसाद शास्त्री ने बाल कविता मे कहा “कितना है बस्ते का बोझ / ढोते ढोते थक गए रोज / अभी उमर है खेलन की / नहीं विषयों के झेलन की / क्या दयाल ये जीना है / बचपन मुझसे छीना है ।“
गोष्ठी को प्रेम की तरफ मोड़ते हुए गजलकार कुमार कमदिल ने पढ़ा “कई बार सोचा तुझे ख़त लिखूँ,/ तमन्ना ए दिल के बाबत लिखूँ / हमनवां, हमजु़बाँ, हमख्याल मेरे / तुझे मैं अपनी पहली मुहब्बत लिखूँ।… “ और वाहवाही लूटी । कवयित्री डॉ गीता गंगोत्री ने व्यंग पढ़ा “अच्छे दिन का झाँसा देके , अच्छा फाँस लिया है, तिनका तिनका मारके मुझको, जिंदा लाश किया है। कवि मनोज दिवेदी ने “ईमान बहुत पाक है इसको संजोइये / खुदगर्जी एक दाग है इसको न  ढोइये / खुददारियो की आब हरदम जुदा रही / पाकर इसे पाकर इसे औरों की खातिर न रोइये “ पढ़ गीतों से समा बांधा ।
देर शाम तक चली गोष्ठी में गीतों, कविताओं और गजलों ने कविता को नयी बुलंदियों से स्पर्श कराया। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कालम लेखक राम चन्द्र मौर्य व वरिष्ठ कवि इंद्रजीत सुकुमार पधारे । गोष्ठी का भाव पूर्ण सफल संचालन करते हुए “पेड़ों की छाव तले फाउंडेशन” के अध्यक्ष कवि अवधेश सिंह ने ५०वीं गोष्ठी तक कवियों लेखकों के स्नेह और जुड़ाव के प्रति धन्यवाद ज्ञपित करते हुए , प्रेस व मीडिया के प्रति असीम आभार का प्रदर्शन किया और स्पष्ट कहा की आने वाले वर्ष में कई और बड़े फेर बदल “नेचर से लिटरेचर” के अनर्गत किए जाएंगे जिसका खुलासा २०१९ के वार्षिक कार्य कलेंडर में प्रकाशित होगा । साहित्यिक गोष्ठी को रूढ़िवादिता और जड़ता से दूर करके सम-सामयिक और नए दौर के लिए उपयुक्त बनाया जाएगा तथा आभार प्रदर्शन उपाध्यक्ष कपिल देव नागर ने किया ।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से कहानीकार मनीष कुमार सिंह सहित शशिकांत सुशांत,, भूपेन्द्र मिश्रा ,शत्रुघन सिंह ,सुरेन्द्र प्रसाद दुबे आदि प्रबुध श्रोताओं ने रचनाकारों के उत्साह को बढ़ाया ।

- अवधेश सिंह , संयोजक

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