हस्ताक्षर थे पिता
चली आती थी
सायकिल पर होकर सवार
खुशियाँ शाम ढले
नन्हें-नन्हें
उपहारों में
संग पिता के
घर का
उत्सव थे पिता |
संघर्षों के
आसमान esa
बरसती बिजलियों से
लेते लोहा
ऐसी अभेद
दीवार थे पिता |
चिंताओं के कुहरे
से पार ले जाते
अनिश्चय के
भंवर में
हिचकोले लेती
नाव के कुशल
पतवार थे पिता |
चहकते रहते थे रिश्ते
महकती थी उनसे
प्रेम की खुशबू
संबंधो के लिये
ऐसी कुनकुनी
धूप थे पिता |
जिन्दगी की
कड़ी धूप में भी
नहला देते
अपने स्नेह की
छाया से
ऐसे विशाल
बरगद थे पिता |
घर -भर को नया
अर्थ देते
जिन्दगी के
रंगमंच के
अहम
किरदार थे पिता,
हर परीक्षा में
हमारी
सफलता -असफलता
की रिपोर्ट कार्ड के
महत्वपूर्ण
हस्ताक्षर थे पिता |
आज
उत्सव के अभाव में
गहरा सन्नाटा है
घर में
चहुँ ओर
तडकती हैं बिजलियाँ |
जीवन नैया
फसी है भंवर में
कुनकुनी धूप के अभाव में
दीमक खा गई
रिश्तों को
एक अहम किरदार के बिना
सूना है
जीवन का रंगमंच
सफलताओं – असफलताओं के
प्रमाणपत्र
बेमानी है
एक अदद हस्ताक्षर के बिना ||
- डॉ लता अग्रवाल
शिक्षा – एम ए अर्थशास्त्र. एम ए हिन्दी, एम एड. पी एच डी हिन्दी.
प्रकाशन – शिक्षा. एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकों का प्रकाशन| पिछले 9 वर्षों से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर संचालन, कहानी तथा कविताओं का प्रसारण पिछले 22 वर्षों से निजी महाविद्यालय में प्राध्यापक एवं प्राचार्य का कार्यानुभव ।
सम्मान –
१. अंतराष्ट्रीय सम्मान
Ø प्रथम पुस्तक ‘मैं बरगद’ का ‘गोल्डन बुक ऑफ़ वार्ड रिकार्ड’ में चयन
Ø विश्वमैत्रीमंचद्वारा ‘राधाअवधेशस्मृतिसम्मान ।
Ø ” साहित्य रत्न” मॉरीशस हिंदी साहित्य अकादमी ।
२. राष्ट्रीयसम्मान -
साहित्यगौरवसम्मान,स्वतंत्रतासेनानीओंकारलालशास्त्रीपुरस्कार , राष्ट्रीयशब्द्निष्ठासम्मान , महाराजकृष्णजैनस्मृतिसम्मान ,श्रीमतीसुषमातिवारीसम्मान, प्रेमचंदसाहित्यसम्मान, श्रीमती सुशीला देवी भार्गव सम्मान , कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान, श्रीमती सुमन चतुर्वेदी श्रेष्ठ साधना सम्मान ,श्रीमती मथुरा देवी सम्मान , सन्त बलि शोध संस्थान ,तुलसी सम्मान ,डा उमा गौतम सम्मान , कौशल्या गांधी पुरस्कार, विवेकानंद सम्मान , शिक्षा रश्मि सम्मान,अग्रवाल महासभा प्रतिभा सम्मान, “माहेश्वरी सम्मान ,सारस्वत सम्मान ,स्वर्ण पदक राष्ट्रीय समता मंच दिल्ली,मनस्वी सम्मान , अन्य कई सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र।
निवास - नरेला शन्करी . भोपाल – 462041