पत्र , पत्रिका और पाठकों के बीच संवाद का माध्यम हैं |
आपके पत्र हमारा मनोबल बढ़ाते है | हमें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं |
आपके अपने खट्टे मीठे पत्रों की इस दुनिया में आपका स्वागत है…
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प्रिय अमित सबसे पहले तो पत्रिका निकलने के संकल्प के लिए शुभकामनायें स्वीकार करें और इस साहस के लिए बधाई स्वीकार करें . मेरा अनुभव है कि सार्थक एवं दिशायुक्त पत्रिका निकलना एक बहुत बड़ी चुनौती है , इसमें तन मन और धन सभी की हानि होती है और यदि संपादक लेखा हो तो सबसे अधिक हानि उसके रचना कर्म की होती है
इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए आपको शुभकामनायें एवं बधाई देता हूँ और विश्वास है अम्स्टेल-गंगा के माध्यम से हिंदी साहित्य को सार्थक सोच मिलेगी .
-डॉ प्रेम जनमेजय
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प्रिय अमित
आपकी प्रस्तावित पत्रिका के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा। युरोप से भी कोई पत्रिका निकलने लगेगी, जान कर प्रसन्नता हुई।
मुझ से यदि किसी भी प्रकार की सहायता चाहते हों, तो अवश्य लिखें।
सस्नेह
तेजेन्द्र।
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प्रिय सम्पादक महोदय अमित कुमार सिंह ,
इस अवसर पर मैं ‘हिंदी – चेतना के ‘ सारे परिवार की ओर से आपको और आपके सम्पूर्ण सम्पादक मंडल को बहुत सारी शुभकामनाएं भेजता हूँ | विदेश में रहने वाले भारत वंशी हिंदी भाषा के प्रति जो श्रद्धा और सम्मान देते हैं ,हिंदी जगत के लिए बहुत ही गौरव की बात है | आज तुम्हारे जैसे नवयुवकों को हिंदी की सेवा के लिए जो उत्साह की भावना उमड़ी है वह अत्यंत ही सराहनीय | माता सरस्वती तुम्हारे साथ है और हम सभी दिशाओं में रहने वाले हिंदी प्रेमी तुम्हारे साथ हैं | मुझे पूर्ण विश्वास है की तुम इस इस कार्य में सफल होगे | हमारा आशीर्वाद और सहानुभूति सर्वदा तुम्हारे साथ है | जय हिंदी !!
शुभ्कांक्षी : श्याम त्रिपाठी
प्रमुख सम्पादक हिंदी चेतना -कैनेडा
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प्रिय भाई अमित कुमार सिंह सबसे पहले तो समूची ‘एम्स्टेलगंगा’ टीम को इस बात के लिए साधुवाद कि आपने देवनागरी हिंदी में एक साहित्यिक पत्रिका के प्रकाशन की पहल-जैसा सकारात्मक कदम हालैंड में बढ़ाया है। मैं समझता हूँ कि सभी हिंदीप्रेमी रचनाकार इस पत्रिका को रचनात्मक अवदान अवश्य देंगे।
-बलराम अग्रवाल
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आदरणीय अमित जी!
जब किसी समुद्रपारीय भू-भाग से किसी हिंदी पत्रिका के प्रकाशन का प्रयास किया जाता है तो मन उत्साह-उल्लास से भर जाता है। अमित जी! इधर दो-तीन वर्षों से मै देख रहा हूँ कि विदेशों में हिंदी सभी भौगोलिक सीमाओं और उच्चावचों को लांघकर तेजी से विस्तारित होती जा रही है। ‘हिंदी चेतना’ के संपादकों और ख़ासकर सुधा ओम ढींगरा जी से मेरी बातचीत होती रहती है। उनके अदम्य उत्साह को देखकर मैं आत्मविभोर हो उठता हूँ। खुद लेखिका होने के साथ-साथ पत्रिका का संपादन भी कर रही हैं; हिंदी को सार्वत्रिक आधार पर प्रचारित-प्रसारित करने का उनका प्रयास श्लाघ्य है। कई इंटरनेट पत्रिकाएं भी विदेशों में हिंदी के कद को ऊंचा करने के कार्य में लगी हुई हैं। यों तो, हिंदी में गुटबाज़ी बहुत है और दादागिरी भी देखने को मिल रही है। लेकिन, उदार लेखकों को इन सबसे कुछ भी लेना-देना नहीं है। वे चाहे जहाँ भी हों, निज भाषा के विस्तार के लिए भगीरथी प्रयास करते रहेंगे। उन्हें तो बस, वैश्विक समाज में हिंदी के भविष्य को लेकर जो चिंता खाए जा रही है, वह चिंता हिदी भाषा और साहित्य के लिए वरदान साबित हो रही है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि आपका यह प्रयास भी अत्यंत सार्थक हो।
आपका शुभेच्छु–
डा. मनोज श्रीवास्तव,
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आदरणीय अमित जी ,
इस सद्प्रयास के लिए आपकी टीम को बहुत- बहुत बधाई!
यह नीदरलैंड में रहने वाले भारतीयों के लिए अभिव्यक्ति का एक अच्छा माध्यम होगा | मैं समझती हूँ कि अम्स्टेल नीदरलैंड की किसी नदी का नाम है जो शायद गंगा की तरह महत्वपूर्ण है | दो नदियों की तरह दो संस्कृतियों / विचार धाराओं के बीच आपकी पत्रिका सेतु का काम करे | मेरी शुभकामनाये|
सादर
इला
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अमित जी, हालेंड से इतनी सुनदर हिन्दी पत्रिका प्रकशित होने वाली है , जान कर प्रसन्नता हुई | हिन्दी विश्व विजयी हो , यही तो हम सब की कामना है और इसके लिए हम अवश्य तैयार हैं |
मंगल कामना के साथ
शशि पाधा
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प्रिय श्री सिंह , यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप हालेंड जैसे स्थान पर रहकर हिंदी के प्रचार के लिए भी प्रयास कर रहे हैं . जब अपने देश में ही हिंदी पहले हाशिये पर सरकाई गई और अब गायब होती जा रही है, तब प्रवासी भारतीयों को हिंदी से जोड़े रखना एक प्रकार की चुनौती है . आप लोगों ने इस चुनौती को स्वीकार किया है, इसके लिए मैं आप सभी सहयोगियों का अभिनन्दन करता हूँ. आप अपने प्रयास में सफल हों – यही कामना है और यही प्रार्थना है.
हार्दिक शुभकामनाओं सहित ,
भवदीय
रवीन्द्र अग्निहोत्री
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प्रियवर सर्वप्रथम पत्रिका हेतु शुभकामनायें . कृपया बताएं कहानी गीत -ग़ज़ल कविता या उपन्यास अंश क्या भेजूं |
आपका सदा सा श्याम सखा श्याम
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श्रीमान अमित जी, नमस्कार,
एक उम्दा प्रयास के लिए आपको बधाई एवं हार्दिक शुभ कामनायें | एक पत्रिका केवल समय समय पर पाठक सामग्री प्रस्तुत करने का माध्यम नहीं होती वरन एक समाज का आईना और समाज को जोड़ने वाली एक महत्तवपूर्ण कड़ी होती है ,मेरी शुभेच्छा आपके साथ है , कि आपके प्रयास की ये कड़ी बेहद मज़बूत हो |आप अपने इस उत्तम प्रयास में मुझे भी शामिल करना चाहते हैं ,जान कर मुझे हर्ष हुआ | पूजा भाटिया ‘प्रीत”
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अमित जी सबसे पहले तो आप लोगो को बधाई ! ख़ुशी होती है की आप जैसे लोग अपनी भाषा और संस्कृति के बारे में इतना कुछ सोचते हैं. आज १४ सितम्बर हिंदी दिवस है, भारत में पिछले कई दिनों से इस पर लेख आ रहे हैं, आज ही एक लेख मैंने नव भारत टाइमस में पढ़ा. इस में यह कहा गया था की अप्रवासी भारतीय लोग हिंदी को भूलते जा रहे हैं. पता नहीं किस शोध का आधार लेकर यह लोग लिखते हैं. जबकि अगर यह सही होता तो ना तो कोई अमित जो खुद तकनिकी दुनिया से जुड़े है, विदेश से हिंदी की पत्रिका निकालते और ना ही अमेरिका जैसे आधुनिक देश में दो दर्जन से भी ज्यादा हिंदी की संस्थाएं काम कर रही होती. अमित जी ! मैं आपके जज्बे की कद्र करता हु. आपके प्रयास को सलाम! मैं पूरी टीम को इस मौके पर बधाई देता हूँ. इस प्रयास को मैं बहुत अच्छा समझता हूँ. यह यूरोप और पूर्वी भारत की जीवन रेखा के मिलन जैसा है. और कुछ – कुछ पूरब से पश्चिम के मिलन की तरह. इस की सब से बड़ी खासियत मुझे यह लगी की यह अपने देश और माटी के साथ ही उस सरज़मी को भी उतना ही महत्त्व देते हुए लग रहा है जहाँ से इसका जन्म होना है. शीर्षक में सोच दिखती है. विचार के साथ जुडके यह और भी ज्यादा धारदार बन जाएगी. एक बार फिर से बहुत बहुत बधाई…. जय राष्ट्र भाषा हिंदी ! जय हिंदुस्तान !!! जय अम्स्टेल-गंगा !!!!
मनोज कृष्ण , मुंबई , भारत
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‘अम्स्टेल गंगा’ के सिंगापोर के हिंदी – भोजपुरी भाषी भारत परेमि लोगन के ओर से वसुधैव कुटुम्बकम के एगो और कड़ी जोड़े खातिर बहुते बधाई आ शुभ कामना !
” अयं बन्धुरयं नेति गणना लघुचेतसां उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकं ”
Only small men discriminate saying: One is a relative; the other is a stranger. For those who live magnanimously the entire world constitutes but a family.
- केशरी नंदन शर्मा , सिंगापुर
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अम्स्टेल गंगा वेबसाइट को हॉलैंड में लांच करने पर बहुत-बहुत बधाई ! यह अत्यंत प्रशंसनीय कार्य की शुरुआत है और हिंदी भाषी प्रवासी भारतियों के लिए अपनी मात्र भाषा से जोड़ कर रखने का एक सफल प्रयास साबित होगा,ऐसा मेरा विश्वास है I जय हिन्द !!
आशीष खरयाल टी सी एस (प्रोजेक्ट मैनेजर, BaNCS प्रोडक्ट), नीदरलैंड्स
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Amit and Akhilesh,
Thanks a ton for taking this up… it gives us a good platform to promote Hindi which is our national language. Next comment from me will be in Hindi (with a Southie touch though:))
-अनंत रमन , टी सी एस , नीदरलैंड्स
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इस सराहनीय कार्य के लिए बधाई कृपया मुझे सूचित करेन अगर मैं भी इस पत्रिका में योगदान कर सकती हूं:)
रुपाली, टी सी एस , नीदरलैंड्स
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मेरी निजी राय में,यह एक बहुत अच्छी पहल है
सी वी सिंह, टी सी एस , नीदरलैंड्स
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Day before yesterday(14 September) , Many of us celebrated Hindi Diwas on Facebook. But my friend Amit Kumar Singh celebrated it in a real way. He launched Holland’s first Hindi Magazine on that day.
Amstel Ganga is really a great initiative and Amit I am proud of you.
सिद्धार्थ सिन्हा
बैंक मैनेजर, आई डी बी आई , लुधियाना , भारत
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