पत्रिका के अनुभाग: अप्रैल -जून २०१५ (अंक ११, वर्ष ४)
अम्स्टेल गंगा के इस फुलवारी में आपका स्वागत है।
रंग बिरंगे फूलों की इस बगीया में विचरण करे और हमें अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत करायें।
सम्पादक मंडल
अम्स्टेल गंगा
पत्रिका के अनुभाग: विषय सूची
हिंदी साहित्य:::
काव्य साहित्य:
ग़ज़ल:
गज़ल – डॉ मनोज श्रीवास्तव ‘मोक्षेंद्र’
हाइकु::
कविता:
क्या बिगड़ जाएगा.. – डॉ. जेन्नी शबनम
अश्कों के घुंघरू – सीमा गुप्ता
भरे हैं पोर- पोर – ज्योत्स्ना प्रदीप
रिस्तो की भी होती हे एक्सपाइरी डेट – राजेश भंडारी “बाबू”
सोचना मना है – अमित कुमार सिंह
कुछ बातें हैं.. – डॉ. ज्ञान प्रकाश
है तू नन्हा सा – स्वाति सिंह देव
लेख::
मौत से छीन ली जि़न्दगी - मनोज कृष्ण
ब्लॉग लेखन या चिठ्ठा लेखन – डॉ. सुनिल जाधव
नैतिक मूल्य और वर्तमान शिक्षा – स्वर्णलता ठन्ना
व्यंग्य::
उपन्यास:::
एक शाम भर बातें – दिव्या माथुर
लघुकथा::
थैंकयू – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
कहानी::
मर्डर इन गीतांजलि एक्सप्रेस – विजय कुमार
रिश्तों की भुरभरी ज़मीन – मधु अरोड़ा
भोजपुरी हिंदी साहित्य:::
भावुक के दोहे – मनोज सिंह ‘भावुक’
सारा जग जीत गईली मित रे घरवे में हार होगईल – प्रिंस रितुराज
साहित्यिक समाचार :::
ओमप्रकाश तिवारी की पुस्तक ‘खिड़कियां खोलो’ के लोकार्पण के बहाने नवगीत पर चर्चा - डॉ सुमन सास्वत
विश्व पुस्तक मेले में नवगीत पर चर्चा – ओम प्रकाश तिवारी