पत्थर बना दिया, मुझे रोने न दिया . ..
तेरी याद ने मेरे वतन,मुझे सोने न दिया
यह सोच के चला आया विदेश,एक साल में लौट जाऊँगा
घरवाले पूछते रह गए,बोला बस अगले साल ही वापिस आऊंगा
पर इस देश की इस चमक ने ,ये होने न दिया …
यह सोचके आया था ,चार पैसे कमाऊंगा
उन चार पैसो से,एक छोटा आशियां बनाऊंगा
चार पैसे आठ हुए
एक आशियां , अब हो चुका है चार
पर इस देश की इस चमक ने
इन अरमानो को कम होने ने न दिया
यु तो आज तक ,ताज महल सब से सुहाना लगता था
पर एफिल टावर के दर्शन ने इसको भी पुराना कर दिया
वो वक्त था ,जब गंगा मैय्या की चरणों में …..प्यारी बाते हम करते थे
पर इस देश की चमक ने ,अम्स्टेल गंगा बना दिया
पत्थर बना दिया,मुझे रोने न दिया
तेरी याद ने मेरे वतन …मुझे सोने न दिया !!!
-रोमी शर्मा
मैं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (नीदरलैंड्स)में सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ |
मुझे हिंदी लेखन में बहुत रूचि है , अक्सर अपने विचारो को हिंदी लेखन के माध्यम से अभिव्यक्त करती हूँ |
