हाँ ! हम ताली पीटती हैं
निःसंकोच ताली पीटती हैं
हर बात पे और बिना बात पे भी
ताली की थपाक की गूँज
देर तक गूँजती है
हर कोई चौकन्ना हो जाता है
पर देश की संसद
कभी चौकन्नी नहीं होती
कोई घृणा से देखता है
कोई एक टक ताड़ता है
कोई दूर से घूरता है
कोई छिपता फिरता है
तो कोई कन्नी काटता है
और बड़े-बड़े साहूकार मंदिर-मस्जिदों में
रुपयों की खैरात बाँटता है
दुआओं की पोटली बांधता फिरता है
पर हमारी ताली गाहे बेगाहे
बजती रहती है
शिव के डमरू की तरह
मीरा के घुँघरू की तरह
हिमालय के झरनों की तरह
कल-कल करती नदियों की तरह
थप्प थप्प,थपाक- थपाक
थप्प थप्प,थपाक-थपाक
अरे! ताली पीटना
कोई गुनाह नहीं
हक़ीम भी कहता है
ताली बजाने से
शिथिल नाड़ियाँ
भी चल पड़ती है
इसलिए ताली पीटना अच्छी सेहत की निशानी है
यह बात सबको बड़ी देर से समझ में आनी है
ये तालियाँ ही योग है और जीवन का भोग है
जिसे समझ न आये समझो वो मानसिक रोग है
अरे !हम अधूरी ज़रूर हैं
शिव और शक्ति की तरह
पर दुआएं होती पूरी जरूर हैं
ईष्टों की भक्ति की तरह
सुक़ून देती हैं
बरगद की छाया की तरह
हम बदनाम ज़रूर हैं पर बदगुमान तो नहीं
इन्सान है पर हमारा ईमान बेईमान तो नहीं
रोज़गार नहीं बस रेज़गारी है
ताली पीटना बड़ी लाचारी है
लोग फ़रमाइश करते हैं
हमसे नुमाइश करते हैं
फ़लाँ गाने पर नाचो
तो नाचते हैं
पास बुलाते हैं गलबाहें हो लेते हैं
सब के लिए नाचते हैं
गाते हैं थिरकते हैं
और नाच के बहाने
सब अपनी आँखें सेंकते हैं
न क़ानून है, न क़ानूनगो कोई
लागा चुनरी में जैसे दाग़ हो कोई
सबका मनोरंजन करते हैं
सब ज़ोर ज़ोर से ताली पीटते हैं
ताली तो ताली है कोई गाली नहीं
हम भी इन्सान है कोई मवाली नहीं
ये ताली
हर चुप्पी की तोड़ का जवाब है
अरे! अदालतों में आर्डर-आर्डर नहीं
ताली-ताली होनी चाहिए
न्याय की तकड़ी और
सरकार की तख़्ती तक हिल जाये
बेगुनाहों को अपना हक़ मिल जाए
ताली बजती रहनी चाहिए
ताली गूंजती रहनी चाहिए
ये ताली ही
हमारी ज़िन्दगी का ताल है
यही हमारी रेज़गारी का थाल है
निःसंकोच ताली पीटती हैं
हर बात पे और बिना बात पे भी
ताली की थपाक की गूँज
देर तक गूँजती है
हर कोई चौकन्ना हो जाता है
पर देश की संसद
कभी चौकन्नी नहीं होती
कोई घृणा से देखता है
कोई एक टक ताड़ता है
कोई दूर से घूरता है
कोई छिपता फिरता है
तो कोई कन्नी काटता है
और बड़े-बड़े साहूकार मंदिर-मस्जिदों में
रुपयों की खैरात बाँटता है
दुआओं की पोटली बांधता फिरता है
पर हमारी ताली गाहे बेगाहे
बजती रहती है
शिव के डमरू की तरह
मीरा के घुँघरू की तरह
हिमालय के झरनों की तरह
कल-कल करती नदियों की तरह
थप्प थप्प,थपाक- थपाक
थप्प थप्प,थपाक-थपाक
अरे! ताली पीटना
कोई गुनाह नहीं
हक़ीम भी कहता है
ताली बजाने से
शिथिल नाड़ियाँ
भी चल पड़ती है
इसलिए ताली पीटना अच्छी सेहत की निशानी है
यह बात सबको बड़ी देर से समझ में आनी है
ये तालियाँ ही योग है और जीवन का भोग है
जिसे समझ न आये समझो वो मानसिक रोग है
अरे !हम अधूरी ज़रूर हैं
शिव और शक्ति की तरह
पर दुआएं होती पूरी जरूर हैं
ईष्टों की भक्ति की तरह
सुक़ून देती हैं
बरगद की छाया की तरह
हम बदनाम ज़रूर हैं पर बदगुमान तो नहीं
इन्सान है पर हमारा ईमान बेईमान तो नहीं
रोज़गार नहीं बस रेज़गारी है
ताली पीटना बड़ी लाचारी है
लोग फ़रमाइश करते हैं
हमसे नुमाइश करते हैं
फ़लाँ गाने पर नाचो
तो नाचते हैं
पास बुलाते हैं गलबाहें हो लेते हैं
सब के लिए नाचते हैं
गाते हैं थिरकते हैं
और नाच के बहाने
सब अपनी आँखें सेंकते हैं
न क़ानून है, न क़ानूनगो कोई
लागा चुनरी में जैसे दाग़ हो कोई
सबका मनोरंजन करते हैं
सब ज़ोर ज़ोर से ताली पीटते हैं
ताली तो ताली है कोई गाली नहीं
हम भी इन्सान है कोई मवाली नहीं
ये ताली
हर चुप्पी की तोड़ का जवाब है
अरे! अदालतों में आर्डर-आर्डर नहीं
ताली-ताली होनी चाहिए
न्याय की तकड़ी और
सरकार की तख़्ती तक हिल जाये
बेगुनाहों को अपना हक़ मिल जाए
ताली बजती रहनी चाहिए
ताली गूंजती रहनी चाहिए
ये ताली ही
हमारी ज़िन्दगी का ताल है
यही हमारी रेज़गारी का थाल है
- डॉ. संगम वर्मा
जन्म: 17 अप्रैल , शिकोहाबाद (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा: एमए (हिन्दी) स्वर्ण पदक, यूजीसी. नेट, हिन्दी-2006, जे आर एफ़ 2009,
शोध कार्य- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य में तदयुगीन परिदृश्य 2017
सम्प्रति: सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, स्नातकोत्तर राजकीय कन्या महाविद्यालय ,चण्डीगढ़, 160036
लेखन: 1) मानक हिन्दी व्याकरण
2) मानक हिन्दी कार्यशाला (संयुक्त लेखन)
प्रकाशन: विभिन्न राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोध-पत्र प्रकाशित एवं अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में पत्र वाचन, रेडियो पर काव्य पाठन और साक्षात्कार
संपादन: राष्ट्र भाषा हिन्दी स्मारिका, पंजाब
सम्मान: पंजाब स्तरीय ‘हिन्दी सेवी सम्मान’ (सन 2012, 2013, 2014 और 2015); खन्ना में “युवा कवि सम्मान”से सम्मानित
पत्राचार: गुरू हरकृष्ण नगर, खन्ना, ज़िला- लुधियाना