“क्या हुआ दामाद जी?”
“नहीं, कुछ नहीं।”
” परसो से देख रहे हैं। आप खुश नहीं है।पांच साल के बाद बच्चा हुआ है। आपको तो बहुत खुश होना चाहिए था लेकिन….”
” हम खुश हैं। बिल्कुल खुश हैं।”
“ओह्ह! अब समझी। बिटिया हुआ है इसलिए उदास हैं। अरे! पहला बच्चा है! जो भगवान दे, खुश हो जाना चाहिए।”
“नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। बेटा बेटी दोनों बराबर है मेरे लिये।”
“तो क्या हुआ? दहेज़ की चिंता अभी ही लग गयी क्या? सब बच्चा अपने भाग्य कर्म से आता है। बिल्कुल चिंता नहीं कीजिये।”
” हाँ, हाँ। यह बात तो है।”
” तो पाटी साटी का तैयारी करने के बदले मुंह काहे लटकाए हुए हैं। मानसी आपको ऐसे देखेगी तो उसका तबियत और खराब हो जाएगी न। अभी तो वह डिस्चार्ज भी नहीं हुई है।”
…..
” बोलियेगा। तब तो समझ में कुछ आएगा।”
……
“आपको मानसी की कसम, बताइयेगा क्या बात है?”
“जो भी बच्चा देखने आता है, सब कहता है कि देखो चेहरा बिल्कुल संजू पर गया है।”
“अच्छा तो यह बात है। शक! संजू उसका चचेरा भाई है। फिर भी आपको उस पर शक है। छि:।
…..
” आपका आफिस के काम से हफ़्तों बाहर रहते हैं। दो दो बजे रात तक ऑनलाईन रहते हैं। कई लड़की और औरत आपकी दोस्त है। मेरी बेटी को भी तो शक होना चाहिए था न!”
“मैंने ऐसा कभी कुछ न किया जिससे शक हो।”
“मेरी बेटी ने कभी कुछ ऐसा नहीं किया। जिसने शादी से पहले नहीं किया, वह बाद में क्या करेगी?”
“सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। डीएनए टेस्ट करा ले, बस।”
“क्या कहा? डीएनए टेस्ट!”
“जी! वही।”
” तो फिर ठीक है। अगर टेस्ट में आपका बच्चा नहीं निकला तो आप तलाक़ दे दीजियेगा। हाँ एक बात और अगर आपका बच्चा निकला तो मानसी आपको तलाक़ दे देगी। ठीक है न!”
….
” जब ये मन्ज़ूर हो जाय तो आ जाइयेगा। अभी नज़र से दूर हो जाइये। जाइये।”
- मृणाल आशुतोष