झुमरु सा पानी

बदल का टुकड़ा,
वो झुमरु सा पानी,
झूम के आई बरखा दीवानी,
बूंदों से बोली फिर भी न मानी,
वो रमिझिम फुहारें, वो बुलबुल सयानी,
अजब सी जवानी, गजब सी कहानी,
वो बचपन न लौटा, न लौटी नादानी,
बादल का टुकड़ा,
वो झुमरु सा पानी,
सरसों के फूल और चूनर वो धानी,
लट्टू के जैसी बनी जिन्दगानी,
पलकें झपकते हुई ये रवानी,
सपनों में बोले कई- कई कहानी,
खुलते ही आंखें हुई अनजानी,
बदल का टुकड़ा,
वो झुमरु सा पानी।।

 

- अमलेन्दु अस्थाना

मुख्य उपसंपादक
दैनिक भास्कर, पटना।

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