जीवन की व्यावहारिकता

वक़्त है तो आज थोड़ा मुस्कुरा लेना चाहिए,
वक़्त है तो आज थोड़ा जी लेना चाहिए !
हर पल में ना सही पर जितना हो सके
इन पलो को समेट लेना चाहिए !
ज़िन्दगी की राहो को तो ना मोड़ पाओगे ,
पर कभी खुद को ही मोड़ लेना चाहिए !
समुन्दर की लहरों को तो ना रोक पाओगे ,
पर कभी इन लहरों के साथ खुद ही बहना चाहिए !
आसमान की ऊंचाई को तो ना देख पाओगे ,
पर कभी झुक कर खुद ही नीचे देख लेना चाहिए !
मुमकिन तो नहीं हर ख्वाइश को पाना ,
पर जो है उसी में खुश हो जाना चाहिए !
वक़्त की रफ़्तार को तो न रोक पाओगे ,
पर कभी खुद ही रुक जाना चाहिए !
जीवन की इस गूढ़ “निधि” को तो न समझ पाओगे ,
पर जीवन की व्यावहारिकता को समझना चाहिए !!
- निधि वशिष्ठ

मै पेशे से एक विषय लेखिका और शोधकर्ता हूँl मुझे टाइमस आफ इण्डिया के संपत्ति पोर्टल ‘magicbricks.com’ में 5 साल काम करने का अनुभव है।  
इससे पहले मैने दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन कम्युनिकेसन किया था। लिखना हमेशा से ही मेरा शोक रहा है और अंस्टेल गंगा अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए एक बहुत ही इंटरैक्टिव मीडियम है। यह वास्तव में व्यक्तिगत अनुभव और सीधा अपने दिल से लिखने का रोचक माध्‍यम है। 
वर्तमान में एम्स्टर्डम में निवासरत हैं। 

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