यह सब क्या हो गया
धरती के अमृत कोष में
विष-बीज कौन बो गया?
कहीं बमों के धमाके
विधवा की चित्कारें
निरिह पशुओं का विलाप
दनदनाती गौलियों की बौछार
लूट, हत्या और बलात्कार
क्या यही है …………..
षस्य – ष्यामला भूमि का
मातमी उपसंहार।
मां-बहनों से नाता तोड़
भ्रम के ताने-बाने में उलझकर
अनाथों की तरह भटकते युवा-वृद्ध
फैंक रहे हैं हिंसा व नफरत के ढेले
अपने स्वार्थ में डूबा ये मानव मन
भूल गया सब रिष्ते – नाते
और खण्डहर बन कर रह गर्इ
उनकी मानवता
हर कोर्इ इतना निर्दयी क्यों हो गया
आखिर कब तक देखते रहेंगे हम
देश को यूं होते बदरंग
कहां गया वो मेहमान – नवाजी और
भार्इचारे का रंग।
आओ हम मिलकर करें कुछ
मौत का सन्नाटा बुनती अंगुलियों को
जिंदगी का गीत लिखना सिखाएं।
- राजकुमार जैन ’राजन’
जन्म तिथि : 24 जून
जन्म स्थान : आकोला, राजस्थान
शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी)
लेखन विधाएं : कहानी, कविता, पर्यटन, लोक जीवन एवं बाल साहित्य
प्रकाशन : लगभग तीन दर्जन पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाओं में हजारों रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : आकाशवाणी व दूरदर्शन
संपादन : कर्इ पत्र-पत्रिकाओं का संपादन
पुरस्कार व सम्मान : राष्ट्रीयप्रादेशिक स्तर पर ६० सम्मान
संस्थापक : ‘सोहनलाल द्विवेदी बाल साहित्य पुरस्कार,
‘डॉ राष्ट्रबंधु स्मृति बाल साहित्य सम्मान एवं कर्इ साहित्यिक सम्मानों के प्रवर्तक,
विशेष : बाल साहित्य उन्नयन व बाल कल्याण के लिए विशेष योजनाओं का कि्रयान्वयन
संपर्क : चित्रा प्रकाशन, आकोला , चित्तौडगढ़ (राजस्थान)