जाने क्यों

 

जाने क्यों
अक्सर ऐसा लगता है
तेरी बातें कहानी -सी लगती है
तू किसी कथा पात्र-सा लगता है
मैं चुपचाप बंद आँखों से हूँ पढती
हैरान खुली आँखों से हूँ सुनती
बस हूँ-हाँ कहती दूर
कहीं खयालों में हूँ घूमती

तुम्हारे आँगन की मिट्टी
चंदन -सी है महकती
तुम्हारे घर की दीवार
मंदिर-सी हैं सजती
सूखे फूलों से भी
खुश्बू है आती
मन को महका औ
तन को बहका है जाती

तू हिस्सा है मेरे वज़ूद का
ज़िंदगी का हर कतरा
जुडा है तुझसे ही
तू मेरा तो नहीं पर
लगता है अपना-सा ही
जाने क्यों….

- स्वर्ण ज्योति

शैक्षिक योग्यता : स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र) स्नातकोत्तर (हिन्दी)

D.C.H (हिन्दी में रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा)

व्यवसाय : गृहिणी

भाषाएँ : हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड़, तमिल.

विशेषज्ञता के क्षेत्र : हिन्दी में रचनात्मक लेखन. ‘अच्छा लगता हैं’ नाम से कविताओं का एक संग्रह हिंदी में प्रकाशित..आकाशवाणी में हिन्दी में कई भाषण दिए और लिखे.. तमिल कविताओं का हिन्दी में अनुवाद किया.

शौक : हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड़ साहित्य पढ़ना. संगीत सुनना. क्रिएटिव कढ़ाई.पाक और फैब्रिक पेंटिंग.

सामाजिक मूल्यों : पांडिचेरी सरकार द्वारा चलाये जा रहे वृद्धाश्रम में सेवा

प्रकाशित पुस्तकें : अच्छा लगता हैं (हिंदी कविताओं का एक संग्रह)
6 वीं शताब्दी के जैन का अनुवाद ग्रंथ सिरिभुवालय (कन्नड़ से हिन्दी के लिए).
वाहवाही:
• पांडिचेरी के उपराज्यपाल डा. इकबाल सिंह द्वारा 2011 में हिन्दी के लिए सम्मानित
• पांडिचेरी के उपराज्यपाल डा. इकबाल सिंह द्वारा 2010 हिन्दी के प्रचार – प्रसार के लिए सम्मानित
• कवियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय कवि पद्मश्री कवी कवि पेरारासु वैरामुत्तु द्वारा सम्मानित, 2010.
• जैन ग्रंथ सिरिभुवालय के अनुवाद के लिए कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल टी एन चतुर्वेदी द्वारा सम्मानित किया गया.
• भारतीय भाषा और संस्कृति केन्द्र द्वारा राज भाषा सम्मलेन में सम्मानित.
• मैसूर प्रचार परिषद बंगलौर द्वारा सम्मानित किया गया.
• कर्नाटक जाग्रुथी वेदिके द्वारा करुनाण भूषण के रूप में सम्मानित किया गया.
• दिल्ली कन्नाडिगा पत्रिका द्वारा सम्मानित किया.
आने वाले प्रकाशन : तमिल कविताओं का हिन्दी में अनुवाद.
हिन्दी में लघु कथाएँ.
हिन्दी में कविता.

 

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