पंछी
सब उड़ गए
धूप की तलाश में
चहकने
सुदूर वन ।
मैं जाड़े की रौबिन
झाड़ियों में छुपी छुपी
ढूंढती हूँ
मधुमास
संगी साथी
हास विलास ।
हाइड्रेंजिया की
निर्वस्त्र शिराओं पर
फुदकता
एक नारंगी गोला ,
बर्फ के अम्बार पर
दहकता
एक शोला
जमी हुई तन्हाई के
मौन विस्तार में
दृष्टि को
लुभाता है मगर
मेरी छाती के
अंगारे
बुझते हुए
सुलगाते हैं केवल
मेरे सूनेपन को ।
- कादंबरी मेहरा
प्रकाशित कृतियाँ: कुछ जग की …. (कहानी संग्रह ) स्टार पब्लिकेशन दिल्ली
पथ के फूल ( कहानी संग्रह ) सामयिक पब्लिकेशन दिल्ली
रंगों के उस पार (कहानी संग्रह ) मनसा प्रकाशन लखनऊ
सम्मान: भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान २००९ हिंदी संस्थान लखनऊ
पद्मानंद साहित्य सम्मान २०१० कथा यूं के
एक्सेल्नेट सम्मान कानपूर २००५
अखिल भारत वैचारिक क्रांति मंच २०११ लखनऊ
” पथ के फूल ” म० सायाजी युनिवेर्सिटी वड़ोदरा गुजरात द्वारा एम् ० ए० हिंदी के पाठ्यक्रम में निर्धारित
संपर्क: यु के