धरती सोई थी
अम्बर गरजा
सुन कोलाहल
सहमी गलियां
शाखों में जा
दुबकी कलियां
बिजली ने उसको
डांटा बरजा
राजा गूंगा
बहरी रानी
कौन सुने
पीर-कहानी
सहमी सी गुम-सुम
बैठी परजा[प्रजा]
घीसू पागल
सेठ-सयाना
दोनो का है
बैर पुराना
कौन भरेगा
सारा कर्जा
2.
गाँव नही अब
हमको जाना
कहकर हैं,चुप
बैठे नाना
प्रीत-प्यार की
बात कहां
कौन पूछता
जात वहां
खत्म हुआ सब
ताना-बाना
कोयल कागा
मौन हुए
संबंध सभी तो
गौण हुए
और सुनोगे
मेरा गाना
बूआ-काका
नहीं-वहां
गीदड़-भभकी
हुआं-हुआं
खूब-भला है
पहचाना
-डॉ०‘श्याम सखा ‘श्याम’
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ०‘श्याम सखा ‘श्याम’ निदेशक हरियाणा साहित्य अकादमी न केवल एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो चार भाषाओं के विद्वान हैं , हिन्दी,पंजाबी, अंग्रेजी व हरियाणवी में कहानी,उपन्यास गीत गज़ल दोहे आदि अनेक विधाओं में लिखते हैं। अब तक उनकी २० पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।
एक अद्भुत संयोग यह भी है कि वे एक लोकप्रिय सफ़ल चिकित्सक भी हैं ।: M.B;B.S. FCGP शिक्षा प्राप्त डा० श्याम सखा श्याम इन्डियन मेडिकल एसोसिएसन के हरियाणा प्रदेश के प्रेजिडेन्ट रह चुके हैं।
सम्मान: लोक साहित्य व लोक कला का सर्वोच्च सम्मान पं॰ लखमीचंद सम्मान (हरियाणा साहित्य अकादमी)। विभिन्न अकादमियों द्वारा 5 पुस्तकें (अकथ, घणी गई थोड़ी रही (कथा संग्रह), समझणिये की मर (हरियाणवी उपन्यास), कोई फायदा नहीं (हिन्दी उपन्यास), इक सी बेला (पंजाबी कहानी संग्रह) तथा हिन्दी एवं पंजाबी की 10 कहानियाँ भी पुरस्कृत। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों की संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मानों से अलंकृत।
कृतियां: अंग्रेजी, हिन्दी, पंजाबी व हरियाणवी में कुल प्रकाशित २०, चार उपन्यास, चार कहानी संग्रह, पाँच कविता, एक दोहा सतसई, दो गजल संग्रह।
अंग्रेजी उपन्यास: strongwomen@2ndheaven.com (शीघ्र प्रकाश्य)
सम्पादन: मसि-कागद (साहित्यिक त्रैमासिकी 11 वर्ष)
विशेष: एक उपन्यास कुरूक्षेत्र विश्वविद्यलाय के हिन्दी एम.ए. (फाइनल) के पाठ्यक्रम में।
रचना कर्म पर पीएच.डी. व 4 एम.फिल शोध कार्य सम्पन्न।
संप्रति: निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी
संपर्क: पंचकूला- 134113 (हरियाणा)