गाँव की भोर सुहानी

मेरे गाँव की भोर सुहानी
कुएँ का मिलता ठंडा पानी
खेतों में रहट भरते खेत
झूम झूम हँसती  गेहूँ की बाली
कोयल की कूक
आम के मंजर
दरवाजे का नीम
कहते सब का वैद्य
चुल्हे का जलना
वो सरसों का साग
आडू का बाग
कपास के फूल
उपलों का जलता अलाव
भुनी मुँगफली और आलू
वो शकरकंद की खुशबू
गराडू के चटपटे चिप्स
इमली के खट्टे बूटे
बसंती बेर की बहार
कच्ची केरी का अचार
सब कुछ तो है गांव में
दरवाजे पर गाड़ी
बकरी की बाड़ी
ऊंटों की दोड़
होती बेजोड़ ।
- अर्विना गहलोत
शिक्षा- एम एस सी वनस्पति विज्ञानन ,वैद्य विशारद
सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर
विधा- स्वतंत्र
प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आफ नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु ,  नई सदी की धमक , दृष्टी लघुकथा  साझा संग्रह, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है  भाषा सहोदरी लघुकथा संग्रह, साहित्य सागर महिला विशेषांक, संगिनी गुजरात, अनूभूती ,सेतु अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका  , बाल भारती दिल्ली ,   लोक चिंत  मासिक , अनुगुंजन सांझ लघुकथा संग्रह, आधी आबादी का पूरा राग कविता संग्रह  ,समाचार पत्र हरिभूमि ,समज्ञा ,  डाटला , ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान  अंकुर नोएडा   , हमारा मेट्रो भोपाल, अमर उजाला  डीएनस दैनिक न्यायसेतु  , नव प्रदेश कानपुर  , नई दुनिया , दैनिक भास्कर की मधुरिमा , नायिका नई दुनिया , साहित्य लोक बिजनौर , साहित्य केसरी जयपुर  सत्य की मशाल भोपाल , मगसम पत्रिका
सम्मान- श्रेष्ठ कवियत्रि पुरुस्कार साहित्य सागर २०१७
पता- सृजन विहार एनटीपीसी मेजा , जिला इलाहाबाद प्रयागराज , यू पी , भारत।

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