कहते हैं सभी समस्याओं की जड़,
हमारे ही इर्द-गिर्द मौजूद हैै ।
मैंने अनायास पूछ लिया अपने करीबी से,
हँसते हुए वह बोला
तुम अनजान हो ‘गरीबी’ से ?
हमारे ही इर्द-गिर्द मौजूद हैै ।
मैंने अनायास पूछ लिया अपने करीबी से,
हँसते हुए वह बोला
तुम अनजान हो ‘गरीबी’ से ?
गरीबी ही सभी समस्याओं की जड़ है,
भारत में गहरी उसकी पकड़ है,
तुम उसे खोदना भी चाहो, तो खोद न सकोगे,
क्योंकि बड़ी पैनी इसकी नज़र है।।
भारत में गहरी उसकी पकड़ है,
तुम उसे खोदना भी चाहो, तो खोद न सकोगे,
क्योंकि बड़ी पैनी इसकी नज़र है।।
यह दोस्ती करती है सभी जातियों से,
फलती-फूलती है नशा-खोरी से।
अधिक आबादी इसे अच्छा लगता है,
बेरोजगारी इसे अपना बच्चा लगता है।।
विस्थापन और भूमिहीनता पर लहलहाती है यह,
सामाजिक अंधविश्वास के अतिरेक खर्च पर मुस्कुराती है यह,
भ्रष्टाचार की ‘मदिरा’ पीकर मदमाती है यह,
भारत को आज भी अपने अनुकूल पाती है यह।।
फलती-फूलती है नशा-खोरी से।
अधिक आबादी इसे अच्छा लगता है,
बेरोजगारी इसे अपना बच्चा लगता है।।
विस्थापन और भूमिहीनता पर लहलहाती है यह,
सामाजिक अंधविश्वास के अतिरेक खर्च पर मुस्कुराती है यह,
भ्रष्टाचार की ‘मदिरा’ पीकर मदमाती है यह,
भारत को आज भी अपने अनुकूल पाती है यह।।
अशिक्षा को यह मानती वरदान,
बालश्रम के प्रोत्साहन को कहती महान,
बँधुआ मजदूरी पर इसको अभिमान,
वेश्यावृति का प्रचलन इसका ही काम।।
बालश्रम के प्रोत्साहन को कहती महान,
बँधुआ मजदूरी पर इसको अभिमान,
वेश्यावृति का प्रचलन इसका ही काम।।
गरीबी एक पतिव्रता नारी है,
भारत इसके पति का घर है।
प्ति का घर यह यों ही छोड़कर नहीं जाएगी।
डोली में सवार होकर आई है, अब अरथी ही जाएगी।।
डोली में सवार होकर आई है, अब अरथी हीं जाएगी।।
भारत इसके पति का घर है।
प्ति का घर यह यों ही छोड़कर नहीं जाएगी।
डोली में सवार होकर आई है, अब अरथी ही जाएगी।।
डोली में सवार होकर आई है, अब अरथी हीं जाएगी।।
- डॉ धनंजय कुमार मिश्र
विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग सह अभिषद् सदस्य ,
सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका (झारखण्ड)