‘गज्जू हाथी और मोबाइल का भूत ‘
छोटा सा गज्जू हाथी माँ के साथ सुहाना वन में रहता था। खूब उछल- कूद, धमाल करता। अपनी माँ का राजदुलारा, नटखट, चंचल मगर प्यारा।
रोज सुबह -सुबह अपनी माँ के साथ नदी जाता , खूब पानी में नहाता फिर सूंड में भरकर सभी पर पानी की बौछार कर देता। घर पर माँ के हाथों का बना खाना खाता और माँ उसे सुन्दर-सुन्दर,साफ़ कपडे पहना कर ,कंघी करके तैयार कर देती स्कूल जाने के लिए। बड़ा होशियार था, पर चंचलता में कभी मनमानी करने लगता।
” माँ !..मेरा बैग कहाँ रख दिया”,…गज्जू हड़बड़ाया !
अरे!… तुम कल बाग़ में बैठ कर पढ़ रहे थे न, वहीँ रखा होगा। ” माँ की भेद भरी मुस्कान देख, ‘गज्जू बाग़ की तरफ भागा।
” माँ, बैग यहाँ भी नहीं है”
‘गज्जू को हैरान, परेशान देख माँ ने उसे एक थपकी लगाई
” उफ़!… तुम जिम्मेदार कब बनोगे ,”
“जाओ ,अलमारी में से बैग ले लो ,कल तुम बैग गार्डन में छोड़ आये थे”, मैंने संभाल कर रख दिया था। 
स्कूल पंहुचा तो टीचर ने बताया , क्लास में कुछ नए बच्चे शामिल हुए हैं।
सभी बच्चे बड़ी उछल कूद कर रहे थे और किसी चमकती चीज़ को देख रहे थे। “ जल्दी आओ गज्जू ,देखो हमारा नया दोस्त शहर से एक जादुई चीज़ लाया है, जो बातें करती है, खेल भी खिलाती है “, मंटू बंदर चिल्लाया।
गज्जू ने बड़े कौतुहल से उस चमकती हुई चीज को उलट-पुलट कर देखा ,” अरे ये तो बहुत कमाल की चीज़ है,” कहते हुए गज्जू की आँखें चमकने लगीं।
“हाँ, बड़ी महँगी है , शहर में तो सबके पास होती है”, फ्रैंकी भालू ने रौब जमाते हुए कहा।
छुट्टी के बाद घर- आते -आते गज्जू का मन तो उस मोबाइल में ही अटका था।हाँ, उसे याद आया कि टीचर ऐसी ही कुछ चीज़ के बारे में बता रहे थे जो बैटरी से चलती है जिससे हम कहीं भी किसी से बात कर सकते हैं , उसके लिए अब हमारे जंगल में भी नेटवर्क शुरू करने के लिए टावर लगाये जाने की तैयारी है। फिर यहाँ भी सबके पास मोबाइल होंगे।जंगल में बिजली आने के बाद , स्कूल खुलना भी गज्जू को बहुत अच्छा लगा। अब ये मोबाइल भी ,वाह !!
रास्ते भर उसी के ख्यालों में खोया गज्जू घर पहुंचा।
“माँ , गज्जू बैग एक तरफ फेंक के रिरियाया.. “माँ , मुझे भी मोबाइल चाहिए, एक जादू की चीज़ है”
“ये क्या नयी चीज़ है , हम अभी कोई नयी चीज़ नही खरीद सकते, तुम्हारी स्कूल फीस भी जमा करनी है। बाद में दिलवा दूंगी .” ..माँ ने कहा और अपने काम में लग गयी। इधर गज्जू को तो सोते -जागते बस मोबाइल ही मोबाइल दिख रहा था।
अगली सुबह जब स्कूल पहुंचा तो सामने ही उसे फ्रैंकी भालू आते दिख गया।
“फ्रैंकी, अब हम दोस्त हैं , क्या तुम मुझे अपना मोबाइल दोगे। ”
” हाँ -हाँ क्यों नहीं ,मेरे पास तो शहर में बहुत सारी ऐसी चीज़ें हैं। अगर तुम्हे पसंद है तो ले सकते हो”, फ्रैंकी बोला।
“अरे नहीं ,मैं सिर्फ 2-३ दिनों के लिए ही मोबाइल अपने घर ले जाना चाहता हूँ। “फ्रेंकी बोला “अभी तुम इससे बात नहीं कर सकते क्यूंकि यहाँ नेटवर्क शुरू होने में कुछ वक़्त है, हाँ, तुम इस पर गेम्स खेल सकते हो और म्यूजिक सुन सकोगे”।
फ्रैंकी से मोबाइल लेते हुए गज्जू की आँखें ख़ुशी से चमक गयीं। धन्यवाद कह कर तुरंत अपने घर आया गज्जू और फिर तो बस गज्जू और मोबाइल। सारे समय बस उसी पर गेम्स खेलता रहता, म्यूजिक सुनता। 
“गज्जू , ये आवाजें कैसी आ रही हैं! .”
“अरे, माँ ,नई -नई चीज़ें शुरू हो रही हैं न, कुछ काम हो रहा है शायद जंगल में”, डर के मारे माँ को नहीं बताया गज्जू ने।
इधर बीच में एक दिन क्लास टेस्ट में जब कम नंबर आए तो माँ को आश्चर्य हुआ।
“गज्जू, तुम्हारा आजकल ध्यान कहाँ है”! अच्छी तरह पढाई करो ,में बाहर जा रही हूँ खाने-पीने का सामान लेने। घर का ध्यान रखना।
“हाँ, माँ,” कहा गज्जू ने और फिर अपने मोबाइल गेम्स में डूब गया।
कालू बंदर और गोलू सियार बहुत दिन से ताक में थे, जैसे ही घर खाली और गज्जू को अपनी ही दुनिया में उलझा देखा, तो घर में घुस कर दो -चार चीजें उठा कर चल दिए।
“गज्जू,” मां की आवाज सुनकर गज्जू को होश आया। जब तक गज्जू पहुंचा, माँ समझ चुकी थी कि कुछ गड़बड़ है सामान उल्टा-पुल्टा पड़ा था। कुछ चीज़ें गायब देखकर वह बोली।
“गज्जू , लगता है तुम्हारी लापरवाही से घर में चोरी हुई है। जाओ अपना कमरा भी देख कर आओ ” ‘माँ, मेरी नहीं घड़ी दिख रही ,यहीं टेबल पर रखी थी”, …….गज्जू रुआंसा सा हो गया। यही वो घड़ी थी जो गज्जू को बहुत प्रिय थी, उसे उसके पापा ने जन्मदिन पर गिफ्ट की थी।
माँ ने जोर से कान पकड़ा और एक चपत लगा दी.. “मैं देख रहीं हूँ ३-४ दिन से तुम्हारा ध्यान कहीं भटका हुआ है। आखिर बात क्या है”!
अब तो गज्जू ने रोते-रोते सारी बात माँ को बता दी।
“जाओ, तुरंत अपने दोस्त को मोबाइल वापस करके आओ” माँ ने जोर से डांटा।
गज्जू तुरंत मोबाइल वापस करने भागा। और बहुत दुःख हुआ उसे अपनी प्रिय घड़ी गवां देने का। अब उसके सिर से ‘मोबाइल का भूत’ उतर चुका था।
घर लौट कर आने पर माँ ने समझाया कि अपने माता -पिता से छिपाकर, झूठ बोलकर कोई काम नहीं करना चाहिए और बिना उनसे पूंछे किसी की चीज़ भी नहीं लेनी चाहिए। माता -पिता की बात मानना चाहिए और जिम्मेदार बनना चाहिए। नहीं तो बहुत नुक़सान होता है।
“ अच्छा चलो अब धयान रखना,. हाथ-मुंह धो लो, मैं तुम्हारे लिए ‘मिल्कशेक’ बनाती हूँ”
गज्जू सोच रहा था ,माँ ने मुझे माफ़ कर दिया ,कितनी अच्छी है मेरी माँ। अब में हमेशा उसकी दी गयी सीख मानूंगा और उसे कभी दुखी नहीं करूँगा।
- अनुपमा श्रीवास्तव’ ‘अनुश्री’
जन्मस्थान- जबलपुर
शिक्षा- एमएससी , एल एल बी,
मॉरीशस में अध्यापन , संम्प्रति – एनाउंसर, आल इंडिया रेडियो, भोपाल। -
साहित्यिक अभिरुचियां – कवितायेँ , कहानियां , आलेख ,बाल साहित्य ,क्षणिकाऐं , मुक्तक, हायकु।
‘ प्रकाशन ’ - ‘अवि, तुम्हारे लिए , बाल काव्य संग्रह प्रकाशित , काव्य पुस्तक , बाल -कहानी पुस्तक प्रकाशनाधीन । देश-विदेश के प्रमुख पत्र -पत्रिकाओं एवं समाचार -पत्रों में रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन। इंटरनेट पर साहित्यिक गतिविधियाँ , ब्लॉग ,आदि।
‘ सदस्य ’, ‘पदाधिकारी ‘ - हिंदी लेखिका संघ , म. प्र ( पूर्व प्रचार-प्रसार सचिव )
- कला मंदिर , भोपाल (प्रचार -प्रसार सचिव)
- बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र, भोपाल (प्रचार -प्रसार सचिव )
- अखिल भारतीय बुंदेलखंड एवं साहित्य परिषद, म.प्र , भोपाल
-अखिल भारतीय साहित्य परिषद , भोपाल
- म.प्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति , हिंदी भवन , भोपाल
- म.प्र लेखक संघ , भोपाल
- आगमन साहित्यिक संस्था , दिल्ली ,
(संयुक्त प्रभारी , मध्य प्रदेश )
‘ प्रसारण’ - दूरदर्शन, मध्यप्रदेश, से ‘साहित्य समय , काव्यान्जलि , परिवार आदि कार्यक्रमों में काव्य पाठ का प्रसारण एवं संचालन , टॉक शो में भागीदारी।
‘ आकाशवाणी ’ – के नारीशक्ति, बालसभा , कोपल कार्यक्रमों में कविताओं , कहानियों , आलेख , बाल रचनाओं ,कहानियों का निरन्तर प्रसारण एवं संचालन।
‘ E.TV (m.p) ’- स्क्रिप्ट लेखन एवं कविताओं का प्रसारण
“ सम्मान ” -
– “अक्षर- शिल्पी सम्मान ’ - 2013 , गांधी भवन, नई दिल्ली में , संस्कार सारथी ट्रस्ट , नई दिल्ली द्वारा।
– ” साहित्यकार सम्मान – 2013 , कादम्बिनी समिति एवं नेशनल बुक ट्रस्ट , नई दिल्ली द्वारा।
– ” बाल साहित्यकार सम्मान – 2014, हिंदी लेखिका संघ , म.प्र द्वारा।
- “बाल साहित्य प्रोत्साहन पुरस्कार ’ – 2013 , राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान समारोह
में चित्रा प्रकाशन , राजस्थान द्वारा।
- ” हिंदी सेवी सम्मान ” – 2014 , जे,एम,डी प्रकाशन, नई दिल्ली , द्वारा।
- “राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान ” - 2014, अखिल भारतीय हिंदी सेवी संस्थान, इलाहाबाद द्वारा।
- “काव्य श्री ” सम्मान -2015, सरस्वती कला संगम, झाँसी , द्वारा ।
- “काव्य कुमुदिनी ” सम्मान – 2016 , अखिल भारतीय साहित्य संगम, राजस्थान, द्वारा।
- ” उर्वशी सम्मान ” 2016 – अंतर्राष्ट्रीय साहित्य ,शोध , संस्कृति पत्रिका ‘उर्वशी ‘ द्वारा।
- ” सोशल मीडिया मैत्री सम्मान ” – 2016, लेखन , एंकरिंग , गायन की बहुमुखी प्रतिभा हेतु ‘ हम सब साथ साथ संस्था , दिल्ली, द्वारा।
- ‘प्रशस्ति – पत्र ‘ गायन हेतु ‘ - भोपाल उत्सव मेला समिति , भोपाल द्वारा।
- ‘ वाणी प्रमाण – पत्र ‘ - प्रसार भारती , आकाशवाणी , नई दिल्ली द्वारा।
‘अंतर्राष्ट्रीय सम्मान ‘
“ हिंदी साहित्य अकादमी “ , मॉरिशस द्वारा ‘ सम्मान पत्र ’ ( हिंदी भाषा ,संस्कृति सेवा एवं संवर्धन हेतु )।
“ विश्व हिंदी संस्थान ,कनाडा द्वारा ‘ सम्मान – पत्र ‘ ( हिंदी भाषा ,संस्कृति के विश्व व्यापी प्रचार-प्रसार में रचनात्मक सहयोग देने हेतु )।
“अन्य गतिविधियाँ”
- समाज सेवा , गायन , सम्पादन , इंटरनेट पर साहित्यिक गतिविधियाँ , ब्लॉग्स। विद्यालयों में छात्रों के मध्य ‘ बाल –प्रतिभा श्रृंखला ‘ का आयोजन ( हिंदी भाषा के पठन -पाठन ,शुद्ध हिंदी लेखन , प्रचार -प्रसार को प्रोत्साहित करने हेतु )।
बिभिन्न संस्थाओं और शालाओं में बच्चों की विभिन्न गतिविधियों का संयोजन।
उप संपादन – अंतर्राष्ट्रीय ‘ओजस्विनी ‘ पत्रिका।
संपादन – ‘बाल -मुस्कान ‘ ( अंतर्राष्ट्रीय इ- पत्रिका ‘प्रयास ‘) , कनाडा।
‘राष्ट्रीय बाल रंग उत्सव’ एवं अन्य साहित्यिक , सांस्कृतिक कार्यक्रमों में निर्णायक की भूमिका ।
“स्टोरी मिरर ‘ मुंबई द्वारा आयोजित साहित्यिक प्रतियोगिता 2017 में निर्णायक।
तूर्यनाद 17, मेनिट, भोपाल में वाद -विवाद प्रतियोगिता में निर्णायक एंव अध्यक्षता।
’संचालन’
‘दूरदर्शन’ - दूरदर्शन ,मध्य प्रदेश के ‘काव्यान्जलि ‘, ये है नारी शक्ति आदि कार्यक्रमों में संचालन।
‘आकाशवाणी’ - नारी -शक्ति , सांस्कृतिक , काव्य पाठ, विशेष कार्यक्रमों का संचालन।
‘भारत भवन’ , भोपाल – अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुविख्यात भारत भवन में ‘स्त्री रचनाशीलता ‘को समर्पित ‘आद्या ‘ नौ दिवसीय कार्यक्रम का संचालन।
‘विधानसभा भवन’ , भोपाल - ‘ मध्य प्रदेश छात्र संसद ‘ का संचालन
रवींद्र भवन , मानस भवन , हिंदी भवन , रेड क्रॉस सहित देश के कई स्थानों में सांस्कृतिक , शैक्षिक , साहित्यिक, सामाजिक कार्यक्रमों का संचालन।
‘ संचालन हेतु पुरस्कार ‘
- बेस्ट एंकर अवार्ड ‘ – सार्वदेशिक कायस्थ युवा प्रतिनिधि संस्था , भोपाल द्वारा।
- राष्ट्रीय संचालन एवं श्रेष्ठता अलंकरण , – निर्दलीय प्रकाशन ,नई दिल्ली -भोपाल द्वारा।
– श्रेष्ठ संचालन हेतु प्रशस्ति पत्र, – ‘ पर्पल मार्च ‘( इंडो- यूरोपियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) द्वारा।