क्या बिगड़ जाएगा..

 

गहराती शाम के साथ
मन में धुक-धुकी समा जाती है
सब ठीक तो होगा न
कोई मुसीबत तो न आई होगी
कहीं कुछ गलत-सलत न हो जाए
इतनी देर…
कोई अनहोनी तो नहीं हो गई
बार-बार कलाई की घड़ी पर नज़र
फिर दीवार घड़ी पर
घड़ी ने वक़्त ठीक तो बताया है न
या घड़ी खराब तो नहीं हो गई
हे प्रभु !
रक्षा करना
किसी संकट में न डालना
कभी कोई गलती हुई हो तो क्षमा करना !
वक़्त पर लौट आने से क्या चला जाता है ?
कोई सुनता क्यों नहीं ?
दिन में जितनी मनमर्जी कर लो
शाम के बाद सीधे घर
आखिर यह घर है
कोई होटल नहीं…
कभी घड़ी पर निगाहें
कभी मुख्य द्वार पर नज़र
फिर बालकनी पर चहलकदमी
सिर्फ मुझे ही फिक्र क्यों?
सब तो अपने में मगन हैं
कमबख्त टी. वी. देखना भी नहीं सुहाता है
जब तक सब सकुशल वापस न आ जाए
बार-बार टोकना किसी को नहीं भाता
मगर आदत जो पड़ गई है
उस जमाने से ही
जब हमें टोका जाता था
और हमें भी बड़ी झल्लाहट होती थी
फिर धीरे-धीरे आदत पड़ी
और वक़्त की पाबंदी को अपनाना पड़ा था
पर
कितना तो मन होता था तब
कि सबकी तरह थोड़ी-सी चकल्लस कर ली जाए
ज़रा-सी मस्ती
ज़रा-सी अल्हड़ता
ज़रा-सी दीवानगी
ज़रा-सी शैतानी
ज़रा-सी तो शाम हुई है
क्या बिगड़ जाएगा
पर अब
सब आने लगा समझ में
फिक्रमंद होना भी लत की तरह है
जानते हुए कि कुछ नहीं कर सकते
जो होना है होकर ही रहता है
न घड़ी की सूई
न बालकोनी
न दरवाज़े की घंटी
मेरे हाँ में हाँ मिलाएगी
फिर भी आदत जो है…!

 

- डॉ. जेन्नी शबनम 

मेरा परिचय :

जन्म तिथि - नवंबर 16 
शिक्षा - एम.ए, एलएल.बी, पीएच.डी 
जन्म स्थान - भागलपुर, बिहार
स्थाई निवास - नई दिल्ली 
सम्प्रति - स्वयंसेवी संस्था में कार्यरत

ज़िन्दगी जब जिधर कही चुपचाप उधर मैं चल पड़ी । ज़िन्दगी के खट्टे मीठे अनुभवों की लम्बी फेहरिस्त में से कुछ अपने लिए सँजो लेती हूँ और कविता के माध्यम से ख़ुद को अभिव्यक्त कर लेती हूँ । कुछ लेख भी लिखी हूँ जिसमे मेरे संस्मरण, सोच और सामाजिक सरोकार से सम्बंधित मेरे अनुभव शामिल हैं । कब से लिख रही ये तो अब याद नहीं लेकिन कॉलेज के दिनों की कुछ रचनाएँ मेरे पास अब भी है । पहले मेरा लेखन डायरी में हीं ओझल रहता था । एक बार इमरोज़ से मिली और उनको अपनी रचनाओं की डायरी में से कुछ नज़्म पढ़ कर सुनायी । उन्होंने कहा कि इसे छपवाओ, तभी मैंने बताया कि मैं लिखती हूँ ये बात कोई नहीं जानता । उन्होंने मुझे बहुत समझाया कि ”जो भी लिखती हो जैसा भी लिखती हो ये मानो कि अच्छा लिखती हो, छुपाना क्यों? अपनी कविताओं की किताब छपवाओ ।” शायद उसके बाद हीं मुझमें हिम्मत आयी और 2008 में जब मैं नेट से जुड़ी तब से अपनी कविताओं को सार्वजनिक किया । 20 जनवरी 2009 को ‘लम्हों का सफर’ नाम से एक ब्लॉग बनाया जिसमें सिर्फ कविताएँ प्रेषित हैं । 6 दिसंबर 2009 को ‘साझा संसार’ के नाम से एक दूसरा ब्लॉग बनाया जिसमें मेरे संस्मरण, लेख और अन्य रचनाएँ हैं । मेरी कविताएँ विशेषकर मुक्त छंद की हैं जिनमें रिश्ते और अंतर्मन की बातें ज्यादा होती हैं । जापानी काव्य से प्रेरित हिन्दी में हाइकु, ताँका, सेदोका, चोका भी लिखा है । हिंदी में कुछ ‘माहिया’ भी लिखा है ।

पत्रिका-प्रकाशन -
समय-समय पर राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में कुछ कविताएँ और लेख प्रकाशित हुए हैं, जिनमें से प्रमुख है – आस्ट्रेलिया की पत्रिका ‘हिन्दी गौरव’, कनाडा की पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’, भारत की पत्रिकाएँ – समाज कल्याण, उदंती, सद्भावना दर्पण, वीणा, वस्त्र परिधान, गर्भनाल, अविराम, प्राच्य प्रभा, वटवृक्ष, आरोह अवरोह, अभिनव इमरोज़ आदि । तहलका और लीगल मित्र पत्रिका में संयुक्त लेख प्रकाशित । चौथी दुनिया, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, भारत देश हमारा, दैनिक छत्तीसगढ़ आदि अखबार में लेख प्रकाशित ।

पुस्तक-प्रकाशन -
(1) डॉ. मिथिलेश दीक्षित द्वारा संपादित हाइकु संकलन ‘सदी के प्रथम दशक का हिन्दी हाइकु-काव्य’ (2011) में 108 कवियों के हाइकु हैं जिनमें मेरे 12 हाइकु हैं, (2) श्री राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ द्वारा संपादित हाइकु-संकलन ‘सच बोलते शब्द’ (2011) में 98 कवियों के हाइकु हैं जिनमें मेरे 10 हाइकु हैं । (3) श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ और डॉ. भावना कुँवर द्वारा संपादित ताँका-संकलन ‘भाव-कलश’ (2012) में 29 कवियों के ताँका हैं जिनमें मेरे 30 ताँका है । (4) श्रीमती रश्मि प्रभा द्वारा संपादित ‘शब्दों के अरण्य में’ में 60 रचनाकारों की रचनाओं में मेरी रचना भी शामिल है । (5) श्रीमती रश्मि प्रभा द्वारा संपादित ‘प्रतिभाओं की कमी नहीं’ (अवलोकन 2011) में 70 रचनाकारों में मैं भी शामिल हूँ । (6) श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, डॉ. भावना कुँवर और डॉ. हरदीप सन्धु द्वारा संपादित हाइकु संकलन ‘यादों के पाखी’ में 48 कवियों के हाइकु हैं जिनमें मेरे 30 हाइकु हैं । (7) श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, डॉ. भावना कुँवर और डॉ. हरदीप सन्धु द्वारा द्वारा संपादित सेदोका संकलन ‘अलसाई चाँदनी’ में 21 कवियों के सेदोका हैं जिनमें मेरे 26 सेदोका शामिल हैं । (8) श्रीमती अंजु चौधरी द्वारा संपादित ‘अरुणिमा’ (2013) में 23 रचनाकारों में मेरी 8 रचनाएँ शामिल हैं । (9) श्री रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, डॉ. भावना कुँवर और डॉ. हरदीप सन्धु द्वारा संपादित चोका संग्रह ‘उजास साथ रखना’ (2013) में 26 कवियों के चोका हैं जिनमें मेरे 7 चोका शामिल हैं । (10) श्रीमती ऋता शेखर ‘मधु’ द्वारा संयोजित एवं संपादित ‘हिंदी हाइगा’ (2013) में 36 कवियों के हाइकु पर आधारित हाइगा है जिनमें मैं भी शामिल हूँ । (11) श्री रवीन्द्र कुमार दास द्वारा संपादित काव्य संग्रह ‘सुनो समय जो कहता है’ (2013) में 34 कवियों की रचनाओं में मेरी रचना भी शामिल है । (12) श्रीमती रचना श्रीवास्तव द्वारा हिंदी हाइकु का अवधी अनुवाद ‘मन के द्वार हज़ार’ (2013) में मेरे 22 हाइकु शामिल हैं ।

मेरा ब्लॉग ‘साझा संसार’ जिसपर अपनी सोच, संस्मरण और विचारों को साझा करती हूँ, पर 47 पोस्ट हैं मेरा ब्लॉग ‘लम्हों का सफ़र’ जिसपर मेरी ज़िन्दगी के हर लम्हों का सफ़र उद्धृत है, पर 450 रचनाएँ हैं । 

Leave a Reply