शोर करना बंद करो , अब तो चेन से रहने दो
बहुत हुआ उठा-पटक, मन को तो बिसरने दो
लेनो दो जीवनी का आनंद , अब रंगों को उर्ड़ेनो दो
कई पल बीत गए इस आपाधापी में
उन पलो को तो अब सहेजने दो ,
रुक गया है थम गया है आँशुवो में जम गया है
उन जमे हुए आँशु को अब तो पिघलने दो
चाहतो के पंख फिर से फर्फराएंगे
उम्मीदों का दामन फिर से लहरायेंगे
कठपुतली सी जिन्दगी मन के बाहर जाएंगे
शोर करना बंद करो ,अब तो चेन से रहने दो
- मनीष कुमार
पता : रांची ,झारखण्ड
लेखनी : कविता लिखना
व्यवसाय :आईटी कंपनी में कार्यरत