आजकल बड़े बड़े घोटाले होते हैं | मैं सोच रहा था कि जो महापुरुष ये सब कर रहे हैं उनकी पाठ्य पुस्तकें कैसी होती होंगी |
नीचे वाली कविता शायद पढ़ी होगी उन लोगों ने ….
अगर नहीं है अपना घरौंदा
तो कब्ज़ा करके रहो
किरायेदार मत बनो
मेरे प्यारे दोस्तों
ईमानदार मत बनो
लूटो खाओ मौज करो
बेईमानी जिंदाबाद
ईमानदारी के जहर से
मत करो जहाँ बर्बाद
एक बार उतरो तो सही
बेईमानी के सागर में
डूब जाने का मन करेगा
सारे जहाँ की दौलत
लूट लाने का मन करेगा
महाजनः येन गतः सह पन्थाः
ज्यादातर बेईमानी की ओर जा रहे हैं
तुम अकेले सत्य के साहूकार मत बनो
मेरे प्यारे दोस्तों ईमानदार मत बनो
दूध फल खाओ घी पियो
चार दिन की जिंदगी है शान से जियो
खाली हाथ आये हैं खाली हाथ जाना है
ईमानदारी में मिला तमगा साथ नहीं जाना है
इसीलिए कहता हूँ
सत्य के साहूकार मत बनो
इंसानियत के ठेकेदार मत बनो
मेरे प्यारे दोस्तों
ईमानदार मत बनो
-नीरज त्रिपाठी
शिक्षा- एम. सी. ए.
कार्यक्षेत्र – हिंदी और अंग्रेजी में स्कूली दिनों से लिखते रहे हैं | साथ ही परिवार और दोस्तों के जमघट में कवितायेँ पढ़ते रहे हैं |
खाली समय में कवितायेँ लिखना व अध्यात्मिक पुस्तके पढ़ना प्रिय है |
प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करते हैं और जीवन का एकमात्र लक्ष्य खुश रहना और लोगों में खुशियाँ फैलाना है |
कार्यस्थल – माइक्रोसॉफ्ट, हैदराबाद