अभावों की साइकिल

बूढ़ी माँ

तीन छोटे भाई बहन

बीवी बच्चों से भरा घर चलाने

सौ रुपये महीना कमाने

रोज पचास किलोमीटर

साइकिल चलाकर

खुश और फिट रहते थे पिताजी|

आज

उसी खुशी और फिटनैस के लिए

आधा घंटा

एसी जिम में

वही साइकिल चलाने के लिए

हजार रुपये महीना

देता हूँ मैं|

फिर भी

उनके जितना खुश और फिट

नहीं हूँ

न जाने क्यूं?

 

 - पंकज भाटिया ‘कमल’

शिक्षा: एम् एस सी (भौतिकी), एम् बी ए

व्यवसाय: मुंबई में मल्टी नेशनल आई टी कंपनी में सेल्स मेनेजर

लेखन संप्रति : स्वतन्त्र लेखन

लेखन विधा: छंदमुक्त कविता, आलेख, निबन्ध आदि

पिछले चौदह वर्षों से विभिन्न हिंदी एवं अंगेजी पत्र पत्रिकाओं में सम सामयिक विषयों पर आलेख प्रकाशित

प्रथम कविता संग्रह शीघ्र प्रकाशन के लिए तैयार

 

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