जिंदगी जीना बहुत मुश्किल है ,
जब साथ में कोई हमसफ़र न हो !
पर कभी खुद को यूँ तनहा न समझना
कहा जाता है की रिश्ते खुद ही नहीं बनते ,
जब अनजाने चेहरे को ढूंढ़ता है मन !
किसी का अक्स है दिल में …………..
तो फिर वो हमसाया भी कंही होगा ……….
आँख उठाकर देखना ,मेरा साया तुम्हारे साथ होगा !
आवाज लगाना मेरे कदम तुम्हारे साथ होंगे ,
इसे झूठ मत समझना, मेरे अहसास भी तुम्हारे दिल के पास होंगे !
लेखनी यूँ ही नहीं चलती ,
न ख़ामोशी के हर्फो से कभी गीत यूँ सजती !
अगर शब्दों में है स्पंदन
तो फिर कोई भाव भी होगा!
-रीमा शर्मा , सिंगापुर
में रीमा शर्मा , सिंगापुर में रहती हूँ . में एक सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ. कविता लिखना मेरा शौक है और में अम्स्टेल गंगा का शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ. जिसके द्वारा मेरी कविता आप सब तक पहुँच पा रही है.