दोहे : मंजूषा ‘मन’


सावन में ये क्या हुआ, लगी जिया में आग।
जिस दिन साजन आएँगे, तब जागेंगे भाग।


कोरे कागज़ पर चले, लिखने मन की बात।
मन पीड़ा के संग थी, अँसुअन की बारात।


बारिस की इक बूँद ने, मनवा दिया जगाय।
छींटे कुछ मन पे पड़े, सारा ही जग भाय।


वाणी भी मीठी नहीं, कहें न मीठे बोल।
कड़वे इस संसार में, मनवा तू रस घोल।


ये होली, दीपावली, खुशियों के त्योहार।
साजन तुम परदेस से, आ जाना इस बार।


कहते जग से हम फिरे, उसको हमसे प्रीत।
सच आया जब सामने, गाएँ दुख के गीत।


बरगद आँगन में उगा, देता सबको छाँव।
शीतलता है बाँटता, सबसे प्यारी ठाँव।


माथे क्यों मेरे लिखा, सहना अत्याचार।
अर्पण जीवन कर दिया, मिला नहीं पर प्यार।

 

- मंजूषा “मन”

जन्मतिथि - ९ सितम्बर  

शिक्षा - समाज कार्य में स्नातकोत्तर

परिचय - मंजूषा ‘मन’ को कविता लिखने की कला अपने पिता से मिली इनके पिता एक बहुत ही अच्छे कवि हैं, संघर्षमय जीवन ने इस कला को समय के साथ और निखारा है। इन्होने बचपन से ही कवितायें लिखना प्रारंभ कर दिया था। समाज सेवा में रूचि होने के कारण डिप्लोमा इन टीचिंग करने के पश्चात भी कुछ और करने की चाह के चलते समाज सेवा का कार्य चुना और इसे बेहतर बनाने के लिए समाज कार्य में स्नातकोत्तर किया। उसके बाद विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में समाज सुधार, महिला सशक्तिकरण, महिला एवं शिशु स्वास्थ्य, शिक्षा विकास, मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु  कार्य किया। उक्त कार्यो को करते हुए इन्हे मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ में रहने का अवसन प्राप्त हुआ और विभिन्न समाजिक परिवेश को समझने एवं मानव मन की गहराईयों को पढने के अवसर प्राप्त हुए। वर्तमान में ये अंबुजा सीमेंट फाउन्डेशन में कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। यहां भी इनका कार्य सामुदायिक विकास का ही है। ग्रामीण क्षेत्रों में  उक्त कार्यों को करते हुए लेखन कार्य सतत् जारी रहा। समय समय पर पत्र पत्रिकाओं में कविताऐं एवं कहानीयां प्रकाशित होती रहीं हैं। जीवन के अनेक उतार चढावों के साथ अपने कार्य मे अग्रसर हैं।  

व्यवसाय - अम्बुजा सीमेंट फाउंडेशन में कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कार्यरत (सामुदायिक विकास कार्यक्रम)

पता - जिला – बलौदा बाजार , राज्य – छत्तीसगढ़


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