जानवर

अक्सर शहर के जंगलों में ;
मुझे जानवर नज़र आतें है !
इंसान की शक्ल में ,
घूमते हुए ;
शिकार को ढूंढते हुए ;
और झपटते हुए..
फिर नोचते हुए..
और खाते हुए !

और फिर
एक और शिकार के तलाश में ,
भटकते हुए..!

और क्या कहूँ ,
जो जंगल के जानवर है ;
वो परेशान है !
हैरान है !!
इंसान की भूख को देखकर !!!

मुझसे कह रहे थे..
तुम इंसानों से तो हम जानवर अच्छे !!!

उन जानवरों के सामने ;
मैं निशब्द था ,
क्योंकि ;

मैं भी एक इंसान था !!!

- विजय कुमार

कुछ लफ्ज़ मेरे बारे में : मैं एक सीधा साधा स्वप्नदर्शी इंसान हूँ और अक्सर एक कवि, लेखक, गायक, संगीतकार, फोटोग्राफर, शिल्पकार , पेंटर, कॉमिक आर्टिस्ट इत्यार्द के स्वरुप में जब जैसे भी हो; खुद को व्यक्त कर लेता हूँ और फिर आप सभी के लिए एक विद्यार्थी ,मित्र , प्रेमी, दार्शनिक , शिष्य , मार्गदर्शक के रूप में तो हूँ ही !

जन्मस्थान : नागपुर, महाराष्ट्र ; भारत !

मातृभाषा : तेलुगु

अन्य भाषा ज्ञान : हिंदी , मराठी , अंग्रेजी

प्रकाशित पुस्तके : “ उजले चाँद की बेचैनी ” – कविता संग्रह
“ एक थी माया ” – कहानी संग्रह

अन्य प्रकाशन : देश विदेश की पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित

सम्मान :
१. विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा अंतराष्ट्रीय कहानी सम्मान
२. India Inter continental Cultural Association award for poetry
३. परिकल्पना अंतराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मान – कहानी वर्ग
४. उज्जैन में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ की ओर से कवि शिरोमणि का सम्मान
५. जबलपुर में वर्तिका संस्थान से पंडित भवानी प्रसाद तिवारी अलंकरण
६. भोपाल में रंजन कलश शिव सम्मान समारोह – २०१३ में रंजन कलश शिव सम्मान
७. अन्य क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय सम्मान

Leave a Reply