काशी बनती साखी

 

हे हां…. रामा हो…-
वन गमन प्रसंग पर
सूत्रधार की हांक से
एक साथ उठे चीत्कार
अस्सी पर रामलीला में
झांझ-ढोल-मंजीरे

उतरि ठाढि़ भए सुरसरि रे….ता…
सीय राम गुह लखन समेता।।
किन्तु पक्के घाटों पर
यहां रेत कहां?
इसी को गर्भस्थ कर
पतित पावनी
बनी होगी गंगा

किनारे दूर कोने में
टकटकी लगाए बैठे
पशिचमी चितेरे
चाय की चुस्की में
उतारते विस्मय का घूट
हलक से नीचे निहारते
शांत सिनग्ध लहरों पर
झिलमिलाती तारावलियां

…..और यौवन रस से
सराबोर काशी
जगमगाती चांदनी में नहाकर
इसी तरह बनती है साखी
नूतन-पुरातन
पूरब-पशिचम के
महा मिलन की।

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-मनोज कृष्ण

 

मनोज कृष्णा जी मीडिया और मनोरंजन के विभिन्न क्षेत्र में दस साल से अधिक का अनुभव रखते हैं | वे टीवी शो, सीरियल और फिल्म के लिए मुंबई के स्वत्रंत स्क्रिप्ट लेखन में सक्रिय हैं |

वर्तमान में वे सॉफ्ट ड्रीम फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड में लेखक हैं |

 मुंबई में: मनोज ने २०१० से २०१२ के बीच में काफी सारे कार्यक्रम में सफल योगदान दिए हैं | उनमें से कुछ चुनिन्दा नाम हैं ; क्राइम पेट्रोल, अखियों के झरोखों से, रुक जाना नहीं, हम हैं बजरंगी, लापता गंज, डिटेक्टिव देव, आदि |

2007 के बाद से अप्रैल २०१०: प्रज्ञा टीवी (फिल्म सिटी नोएडा) के साथ सह निर्माता और वरिष्ठ पटकथा लेखक | प्रोमो लेखन में विशेषज्ञता, जिंगल्स / संवाद स्क्रीन प्ले, वृत्तचित्र, विसुअलिज़िंग, विचारों और गल्प स्क्रिप्टिंग का विकास.
वृत्तचित्र कार्यक्रमों आधारित: भारत के तीर्थ, उत्सव, गुरुकुल, यात्राक |

 २००१ से २००७ : इस दौरान मनोज की प्रिंट मीडिया के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका रही; लोकायत, सीनियर इंडिया, महामेधा, न्यूज़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया, माया, यूनाइटेड भारत, जनमुख, आदि |

 व्यावसायिक योग्यता: M.J.M.C. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से

शैक्षणिक योग्यता: एम.ए. (हिन्दी), C.S.J.M. विश्वविद्यालय. कानपुर

 

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