मेरे लिए क्या हो तुम

मेरे लिए क्या हो तुम
और कितना
यह जानने की कभी कोशिश नहीं की
जरूरत ही नहीं हुई
दूर तक फैले अंधेरे में कदम रखने को
जितना उजाला चाहिए
तीखी धूप में चलते हुए
सर पर जितनी  छाया चाहिए
उससे ज्यादा की कभी चाह नहीं हुई
उतना भर होना तुम्हारा
मेरे लिए सारे संसार की नेमत है
ईश्वर को जलार्पण के लिए भी तो
बस अंजुली भर जल चाहिए होता है
और आचमन के लिए तो
बस बूंद भर ही
तुम्हारा बूंद भर होना
अंजुली भर होना
या मेरे बराबर होना कोई मायने नहीं रखता
तुम वहां हो और
उतना हो जितना मुझे चाहिए
मेरे लिए पर्याप्त है
तुम जो मेरे कहे को बिना विरोध
मान लेते हो
तुम जो मेरा अनकहा भी कई बार
बिना सुने जान लेते हो
मेरे जीवन सफर में
तुम्हारा इतना सा होना ही पर्याप्त है
साथ चलते रहो
बस मेरी अंगुली अपनी अंगुली में
थामे हुए
कदम से कदम मिलाते हुए
मेरी हँसी में अपनी हँसी मिलाते हुए
सफर कितना भी कठिन हो
कट जाएगा
सुख दुख दोनों आपस में बंट जाएगा…

 

 

 - शशिबाला

 

मैं अवकाश प्राप्त स्टेट बैंक अधिकारी हूँ ।कविता लेखन में रुचि रखती हूँ ।मेरी दो पुस्तकें (कविता संग्रह) प्रकाशित हुई हैं.।दोनों अमेजन एवं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं ।

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