पैलेस ऑन व्हील

बार-बार आग्रह करने पर विभा बेटी-दामाद की गृहस्थी देखने पहली बार मुंबई चली आयी थी. उसके आते ही सप्ताहांत होने के कारण दो दिन की छुट्टियों में उसे आस-पास घुमाने लेकर चले गए. गुफाएं, पहाड़ और समुद्र, जाने कितना घुमाया, कितना खिलाया, दोनों ने उसके सुख के लिए मन-प्राण से खूब जतन किये.

छुट्टियों से वापसी और परम्पराओं से अलग दोनों की दिन-चर्या, वह देख रही थी, उसके लिए ये नया अनुभव था.

अलार्म के बजते ही दोनों सुबह साढ़े छह बजे झट से उठ कर रसोई में जा पहुँचे. वह भी रसोई में पीछे-पीछे जाकर खड़ी हो गयी.

“जब तक मैं हूँ खाना बना देती हूँ, तुम लोग ऑफिस के लिए तैयार हो जाओ.”

दामाद ने हंसकर उनकी ओर देखा और पुत्रवत कहा, “आपने तो हमेशा पकाया और खिलाया है, अब हमारी बारी है. आप आराम कीजिये.”

वह बैठक में सोफे पर बैठ कर दोनों को देखने लगी. पास में एक एल. इ. डी. टंगा था. दामाद स्विच ऑन करते हैं और भिन्डी की सब्जी की रेसिपी चलाते हैं, बेटी मसालों की लिस्ट पर स्क्रीन को पॉज कर देती है और उसके अनुसार चार लोगों के अनुपात में झट-पट सारी सामग्रियों को कटोरियों में निकाल लेती है. तब तक दामाद फ्रिज में से भिन्डी निकाल लाते है. बेटी गैस ऑन करके कड़ाही चढ़ाती है और तेल रखती है तब तक में दामाद चोपिंग बोर्ड पर रख कर भिन्डी काटते है. कटी भिन्डी-तेल मसाला सबको एक सार करके बेटी जब तक में निपटती है दामाद आटा लगाकर तैयार, बेटी जितने देर में इधर दूसरे बर्नर पर तवा चढ़ाती है, उतने देर में दामाद चौकटी-बेलन लेकर रोटी बेलने लगते है.

एक का बर्तन मांजना, दूसरे का पानी से धोते जाना और डलिया में रखते जाना. प्लेटफ़ॉर्म, डस्टबीन,पोछे का कपड़ा. साफ़-सफाई का सब तरफ काम भी कर लेना और एक घंटे में दोनों का साथ–साथ नहा धोकर तैयार हो जाना. नास्ते के लिए उसे आवाज देना, और पल भर में उसको हाई-बाई करते हुए, “शाम को मिलते हैं” कह कर पोर्च में खड़ी गाड़ी तक जाना.

विभा का वापस उसी सोफे पर आकर बैठना, आपसी समझ और प्यार से सजे घर को ध्यान से देखना, एकाएक उसका मन ऐश्वर्य से विभोर हो उठा. ऐसा लगा मानों बेटी-दामाद पैलेस ऑन व्हील हैं और वह इस यात्रा का आनंद उठाती एक धनिक यात्री.

 

 

- कान्ता रॉय

जन्म दिनांक- २० जूलाई,

जन्म स्थान- कोलकाता 
शिक्षा- बी. ए.
लेखन की विधाएँ-लघुकथा, कहानी, गीत-गज़ल-कविता और आलोचना
सचिव: लघुकथा शोध-केंद्र भोपाल, मध्यप्रदेश 
हिंदी लेखिका संघ, मध्यप्रदेश (वेवसाईट विभाग की जिम्मेदारी)
ट्रस्टी- श्री कृष्णकृपा मालती महावर बसंत परमार्थ न्यास।
सामाचार सम्पादक: सत्य की मशाल (राष्ट्रीय मासिक पत्रिका)
प्रधान सम्पादक: लघुकथा टाइम्स 
संस्थापक : अपना प्रकाशन
पुस्तक प्रकाशन : 
घाट पर ठहराव कहाँ (एकल लघुकथा संग्रह), 
पथ का चुनाव (एकल लघुकथा संग्रह), 
आस्तित्व की यात्रा (प्रेस में)
 
सम्पादक: 
चलें नीड़ की  ओर (लघुकथा संकलन)
सोपान-4 (काव्य संकलन), 
सहोदरी लघुकथा-(लघुकथा संकलन)
सीप में समुद्र-(लघुकथा संकलन)
बालमन की लघुकथा (लघुकथा संकलन)
अतिथि संपादक-दृष्टि, लघुकथा पत्रिका, महिला लघुकथाकारों का अंक।
एकल लघुकथा-पाठ : निराला सृजन पीठ, भारत भवन, भोपाल।
आकाशवाणी भोपाल से कहानी, लघुकथाएँ प्रसारित, दूरदर्शन से कविताओं का प्रसारण.
लघुकथा कार्यशाला :
1. ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल फिल्म सिटी नोयडा, उ.प्र. में लघुकथा वर्कशॉप का आयोजन किया।
2. लघुकथा कार्यशाला करवाया : हिन्दी लेखिका संघ मध्यप्रदेश भोपाल में 2016 में 
3. दून फिल्म फेस्टिवल कहानी सत्र में अतिथि वक्ता के तौर पर सहभगिता।
 
उपलब्धियाँ : 
साहित्य शिरोमणि सम्मान, भोपाल।
इमिनेंट राईटर एंड सोशल एक्टिविस्ट, दिल्ली।
श्रीमती धनवती देवी पूरनचन्द्र स्मृति सम्मान,भोपाल।
 लघुकथा-सम्मान (अखिल भारतीय प्रगतिशील मंच,पटना)
तथागत सृजन सम्मान, सिद्धार्थ नगर, उ.प्र.
 वागवाधीश सम्मान, अशोक नगर,गुना।
गणेश शंकर पत्रकारिता सम्मान.भोपाल।
 शब्द-शक्ति सम्मान,भोपाल।
श्रीमती महादेवी कौशिक सम्मान (पथ का चुनाव, एकल लघुकथा संग्रह) प्रथम पुरस्कार सिरसा, 
राष्ट्रीय गौरव सम्मान चित्तौरगढ़,
श्री आशीष चन्द्र शुल्क (हिंदी मित्र) सम्मान, गहमर, तेजस्विनी सम्मान,गहमर.   
‘लघुकथा के परिंदे’ मंच की संचालिका।
कोलकाता में अपने छात्र जीवन के दौरान कई सांस्कृतिक संस्था से जुडी रही। महाजाति सदन, रविन्द्र भारती, श्री शिक्षा यतन हाॅल में मैने कई स्टेज शो किये है।
 
पता - गोविंदपूरा, भोपाल- 462023

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